मुफ्त स्मार्ट मीटर क़ा फ़ंडा,पड़ रहा उपभोक्ता पर अतिरिक्त यूनिटों का डंडा ?

मुफ्त में स्मार्ट मीटर लगा ,बढ़ी रीडिंग से हो रही कई गुना वसूली ?

एक तरफ़ सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है वहीं दूसरी ओर राजस्थान में बिजली कंपनी द्वारा एक बार फिर घरों में लगे बिजली मीटर बदले जा रहे हैं,पुराने मीटर के स्थान पर नये स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।इतने बजट में तो कई किलो वाट के सोलर पैनल लगाए जा सकते थे,जब सोलर पर सब्सिडी दे ही रहे हैं तो स्मार्ट मीटर में जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है यह समझ से परे है !

राजस्थान में स्मार्ट मीटर लगाने का काम मुख्य रूप से जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और सिक्योर मीटर्स कंपनी जैसी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है,जयपुर डिस्कॉम में, स्मार्ट मीटर लगाने का काम जीनस पावर को सौंपा गया है, जबकि डीटी मीटरिंग का काम सिक्योर मीटर्स कंपनी करेगी,इसके अतिरिक्त, अजमेर डिस्कॉम ने भी स्मार्ट मीटर लगाने के लिए जीनस मीटरिंग कम्यूनिकेशन लिमिटेड को कार्यादेश जारी किया है,राजस्थान में 14 जिलों में 69 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाने की योजना है
स्मार्ट मीटर लगाने का काम बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा किया जाता है।
यह काम केंद्र सरकार की योजना और राज्य सरकार की बजट घोषणाओं के अनुसार किया जाता है, सरकार का दावा है कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली चोरी और बकाया राशि में कमी आएगी,साथ ही राजस्व वसूली में भी सुधार होगा।
सरकार के आदेशानुसार वर्तमान मीटर को स्मार्ट मीटर में तब्दील करना अनिवार्य है। सभी तरह के उपभोक्ताओं घरेलू/कृषि/कॉमर्शियल के लिए इसे लगवाना जरूरी है।

*स्मार्ट मीटर लगाने के कई फायदे बताए जा रहे हैं *

सटीक बिलिंग

स्मार्ट मीटर वास्तविक समय में ऊर्जा खपत को रिकॉर्ड करते हैं, जिससे अनुमानित बिलों की जगह सटीक बिलिंग होती है।

ऊर्जा प्रबंधन

स्मार्ट मीटर ऊर्जा खपत पर विस्तृत डेटा प्रदान करते हैं, जिससे उपभोक्ता अपने ऊर्जा उपयोग को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और ऊर्जा बचाने के उपाय कर सकते हैं।

बिजली चोरी पर रोक

स्मार्ट मीटर बिजली चोरी का पता लगाने में मदद करते हैं, जिससे बिजली विभाग को राजस्व का नुकसान कम होता है।

सुविधाजनक रिचार्ज

प्रीपेड स्मार्ट मीटरों में, उपभोक्ता अपनी बिजली खपत को रिचार्ज कर सकते हैं और बिजली के उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि अभी जब इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगे हैं और उनमे कोई ख़राबी ही नहीं है तो सरकार नया स्मार्ट मीटर फ्री में क्यों लगाना चाह रही है ,सरकार स्मार्ट मीटर लगाने पर उपभोक्ताओं को 15 पैसे सस्ती बिजली मिलने का दावा कर रही है स्मार्ट मीटर को ‘बिजली मित्र’ ऐप से कनेक्ट किया जाएगा। इसके तहत प्रीपेड यानी ‘पहले पैसा फिर बिजली’ का ऑप्शन चुनने पर 15 पैसे प्रति यूनिट बिजली पर डिस्काउंट मिलेगा।

जिन उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगे हैं उनमें से अधिकांश की पीड़ा है कि जब से स्मार्ट मीटर लगा है तब से बिजली का बिल 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़कर आ रहा है। वहीं उपभोक्ता स्मार्ट मीटर से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही।
उपभोक्ताओं को यह कह कर टरकाया जा रहा है कि मीटर ऑटोमैटिक है और हम कुछ नहीं कर सकते। इस तर्क के पीछे हकीकत यह भी सामने आ रही है कि सहायक अभियंताओं का एक ही टारगेट होता है कि उनके सब डिवीजन में हर महीने 100 प्रतिशत बिलिंग हो। इसलिए बिलिंग संबंधी परेशानियों को लेकर सहायक अभियंता चुप्पी साधे बैठे हैं।

खबरों के अनुसार विद्युत विभाग द्वारा जबरन स्मार्ट मीटर लगाने का यह जनविरोधी फरमान न केवल उपभोक्ता की जेब पर डाका है, बल्कि यह बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकता को निजी कंपनियों के हवाले करने का सुनियोजित षड्यंत्र भी है। पुराने मीटर, जो पूरी तरह ठीक काम कर रहे थे, अब स्मार्ट मीटर के नाम पर जबरन बदले जा रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर सरकार की मंशा क्या है ?क्या बिजली विभाग को अचानक जनता की इतनी चिंता हो गई कि वह दिन-रात मीटर बदलने में जुटा है, जबकि भीषण गर्मी में लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं, और किसानों की फसलें बिजली कटौती के कारण बर्बाद हो रही हैं ?

वहीं पाली कांग्रेस कमेटी की ओर से शहर में निजी कंपनियों द्वारा लगाए बिजली के स्मार्ट मीटरों पर रोक की मांग को लेकर कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष अजीज दर्द ने बताया कि यह स्मार्ट मीटर सरकारी लैब में टेस्ट नहीं किए हैं। इससे लोगों में डर है कि बिजली का पैसा ज्यादा आएगा। बताया जा रहा है कि यह मीटर तेज गति से चलेंगे और पुराने मीटर हटाए जाएंगे। इससे महसूस हो रहा है कि कोई कंपनी सरकार के आला अधिकारियों से मिली भगत करके यह मीटर लगाने की कार्रवाई कर रही है।

साफ है कि जो मीटर खरीदे जाएंगे, उनमें भ्रष्टाचार की आशंका रहेगी जब सरकार सौर ऊर्जा पर सब्सिडी दे रही है तो बिजली के मीटर बदलने की ज़रूरत क्यों पड़ रही है !

abhay