पंचनद दीप महापर्व: क्रांतिकारी योद्धा गुसांई कुट्टी बक्स की स्मृति में आयोजित संकल्प सभा
औरैया । क्रांतिकारी इतिहास के गर्वीले अध्याय को जीवंत करते हुए पंचनद तट पर योद्धा सन्यासी गुसांई कुट्टी बक्स के नेतृत्व में लड़े गए संग्राम की 166वीं वर्षगांठ पर पहली बार जनस्मरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। चंबल संग्रहालय परिवार ने महान क्रांतिवीर और गढ़िया कालेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी गुसांई कुट्टी बक्स को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पंचनद दीप महापर्व के पांचवे संस्करण में चंबल अंचल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को समर्पित एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया।
कार्यक्रम के दौरान चंबल घाटी के क्रांतिकारियों के योगदान को प्रदर्शित करने वाली एक फोटो प्रदर्शनी लगाई गई। इसके साथ ही संकल्प सभा का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने भाग लिया। सभा में क्रांतिकारी राजा निरंजन सिंह चौहान के वंशज कुंवर मोहन सिंह चौहान, पूर्व बागी सरदार सुरेश भाई सर्वोदयी, सरोकारी वकील सूरज रेखा त्रिपाठी, इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान, मानवाधिकार कार्यकर्ता सुल्तान सिंह सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।
संकल्प सभा के मुख्य बिंदु
संकल्प सभा की अध्यक्षता महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष बापू सहेल सिंह परिहार ने की, जबकि संचालन वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र सिंह सेंगर ने किया।
इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान ने चंबल अंचल के रणबांकुरों के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा,
“महाकालेश्वर मंदिर और उसके आस-पास के गांव जैसे बंसरी, नीमरी, पृथीरामपुर, कुंदौल, और कनावर में महान क्रांतियोद्धाओं की स्मृति में जनस्मारक बनाए जाने चाहिए ताकि नई पीढ़ी इनकी बहादुरी और बलिदान को जान सके।”
चकरनगर रियासत से जुड़े कुंवर मोहन सिंह ने राजा निरंजन सिंह चौहान की तलवारें और फाइलें प्रदर्शित करते हुए चंबल संग्रहालय की सराहना की और कहा,
“चंबल अंचल की दुर्लभ सामग्री को संरक्षित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
पूर्व बागी सरदार सुरेश सोनी ने पंचनद तट की साफ-सफाई करते हुए समाज को प्रेरणा दी। वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता सुल्तान सिंह ने चंबल घाटी के समग्र विकास के लिए सभी को जुटने का आह्वान करते हुए शपथ दिलाई।
चंबल के नायकों को दी गई मशाल सलामी
सभा के अंत में चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने अतिथियों और समुदाय को संग्रहालय का अवलोकन कराया। इस दौरान चंबल के नायकों को गगनभेदी नारों के साथ मशाल सलामी दी गई।
लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम में लोकगायक सुनील पंडित और सद्दीक अली ने अपने सजीव गायन से माहौल को ऐतिहासिक बना दिया।
इस आयोजन को सफल बनाने में भानु प्रताप सिंह परिहार, श्याम सिंह तोमर, निहाल सिंह चौहान, हरगोविंद सिंह सेंगर, भंते मानवशील, मुलायम सिंह बघेल, राजेश सक्सेना, मुहम्मद एहसान, कल्लू यादव, मनोज सोनी, सौरभ सिंह खंगार, प्रत्यूष रंजन द्विवेदी, देवेन्द्र सिंह फरैया, राम सजीवन, शैलेन्द्र परिहार, शाहिद चिश्ती, राहुल परिहार, आदिल खान, जीतू परिहार और अन्य सहयोगियों का योगदान सराहनीय रहा।
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