आलू की बढ़ती कीमतों से जनता परेशान, हड़ताल के बीच सरकार का सख्त रुख
कोलकाता । पश्चिम बंगाल में आलू के थोक व्यापारियों की हड़ताल शुरू होते ही बाजार में आलू की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। राज्य सरकार द्वारा आलू की ‘बाहरी निर्यात’ पर कड़ी पाबंदी लगाने के बाद व्यापारियों ने सोमवार आधी रात से हड़ताल की घोषणा कर दी। इसके परिणामस्वरूप मंगलवार सुबह से राज्य के विभिन्न बाजारों में आलू की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ।
राज्य के कृषि विपणन मंत्री बेचाराम मन्ना और प्रगतिशील आलू व्यापारी संघ के बीच सोमवार को हुई बैठक भी बेनतीजा रही। व्यापारी संघ ने साफ कर दिया कि जब तक राज्य के सीमा क्षेत्रों पर आलू से लदे ट्रकों को रोका जाना बंद नहीं किया जाएगा, तब तक वे अपनी हड़ताल से पीछे नहीं हटेंगे।
हड़ताल का असर राज्य के बाजारों में साफ दिख रहा है। मंगलवार को बर्दवान के पुलिस लाइन बाजार, स्टेशन बाजार और नीलपुर बाजार में ज्योति आलू 36 रुपये प्रति किलो और चंद्रमुखी आलू 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। सोमवार तक ये आलू 32 रुपये प्रति किलो मिल रहे थे। खुदरा विक्रेताओं ने बताया कि थोक में आलू की कीमत में प्रति बोरी 200 रुपये की बढ़ोतरी के कारण उन्हें कीमत बढ़ानी पड़ी।
पूर्व बर्दवान के लगभग सभी हिमघरों के बाहर ताले लटके हुए हैं। आलू के स्टॉक को बाहर नहीं निकाले जाने के कारण बाजार में आपूर्ति में कमी हो गई है। आलू व्यापारियों की हड़ताल को हिमघर मालिक संघ ने भी समर्थन दिया है। पूर्व बर्दवान जिला समिति के अध्यक्ष उत्तम पाल ने बताया कि मंगलवार को राज्य व्यापारी संघ की बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
बर्दवान के अलावा हुगली, मुर्शिदाबाद, नदिया और पूर्व मेदिनीपुर जिलों में भी आलू की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। यहां तक कि कोलकाता और सॉल्ट लेक के बाजारों में भी ज्योति और चंद्रमुखी आलू के दाम प्रति किलो तीन रुपये तक बढ़ गए हैं। यदि हड़ताल जारी रहती है, तो कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।
राज्य के कृषि विपणन मंत्री बेचाराम मन्ना ने कहा कि लगातार बारिश के कारण नई आलू की फसल बाजार में आने में 15 दिन की देरी हो गई है। आमतौर पर जो नई आलू दिसंबर के अंत तक बाजार में आ जाती थी, वह अब जनवरी में उपलब्ध होगी। इसलिए फिलहाल पुराने आलू पर ही निर्भर रहना होगा। मन्ना ने यह भी कहा कि राज्य में मौजूद आलू का स्टॉक अगले 40-45 दिनों के लिए पर्याप्त है। ऐसे में आलू की बाहरी निर्यात पर रोक जरूरी है।
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