राजस्थान और देश के गंभीर मुद्दों पर विपक्ष की भूमिका को बख़ूबी निभा रहे पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत

Former Chief Minister Gehlot is playing 
the role of opposition very well on 
serious issues of Rajasthan and 
the country

(अभय सिंह चौहान)

सरकार चाहे कोई भी हो गलतियां सभी करती हैं और करेंगी भी,लेकिन उन गलतियों पर किसी की नजर होनी भी जरूरी है,मीडिया या न्यायालय यह काम अकेले नहीं कर सकते, इसलिए मजबूत विपक्ष आवश्यक होता है,
विपक्ष या विपक्षी पार्टियां जब मजबूत नहीं होती हैं, तो सत्ताधारी पार्टी को मनमानी करने की गुंजाइश मिलती है,इससे लोकतंत्र के बाकी तीनों धड़े- विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया कमजोर पड़ जाते हैं,ऐसे हालात में मीडिया फायदे के लिए या दबाव में एकतरफा हो जाता है और उसमें काम करने वाले लोगों को स्वतंत्रता और निष्पक्षता से काम करने में अड़चन आती है,लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है,
लोकतंत्र की मूल भावना यह मांग करती है कि पक्ष व विपक्ष दोनों की बातों को सुना जाए, लेकिन जब इसके संचालन के तरीकों पर सवाल उठते हैं, तो यह सिर्फ प्रक्रिया की बात नहीं रह जाती बल्कि, लोकतांत्रिक निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर एक गहरा सवाल खड़ा करती है।
मौजूदा स्थिति में विपक्ष की भूमिका यदि कोई सही तरीक़े से निभा रहे हैं तो वह हैं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन्हने सत्ता में रहते हुए भी विपक्ष का पूर्ण सम्मान करते हुए मुख्यमंत्री पद का निर्वाहन लोकतांत्रिक तरीक़े से किया,राजस्थान में विपक्ष की भूमिका में तो कई नेता हैं जिनमें है हनुमान बेनीवाल , प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा,नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट साथ ही पार्टी में रहते हुए किरोड़ी लाल मीणा लेकिन जनता से जुड़े हुए छोटे छोटे मुद्दों को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जितनी बेबाक़ी और निष्पक्षता के साथ उठाते हैं उतना दूसरे नहीं उठा पा रहे हैं !
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट भी ज़रूरी मुद्दों को समय समय पर उठाते रहते हैं लेकिन राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों के चलते वे प्रदेश की सभी छोटी बड़ी सभी समस्याओं को इतनी प्रमुखता से मुद्दों को नहीं उठा पा रहे हैं,
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी सुप्रीमो
हनुमान बेनीवाल जनता से जुड़े हुए मुद्दों को उठाते हैं और उनका संघर्ष सड़कों पर और सोशल मीडिया पर लंबा चलता है,सत्ता को घेरना हो या जन मुद्दे उठाने हों इन दिनों प्रदेश में विपक्षी दल से ज़्यादा आवाज़ हनुमान बेनीवाल की गूंज सुनाई देती है लेकिन हर छोटे बड़े मुद्दों को उठाने में वह भी सक्षम नहीं है

राजस्थान सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा सरकार में रहते हुए भी जनहित के मुद्दों को उस समय समय पर उठाते रहते हैं लेकिन उनकी सियासी मजबूरियों के चलते मुद्दे अंजाम तक नहीं पहुँच पाते हैं ,
गोविंद सिंह डोटासरा और टीका राम जूली की “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे तो ठीक है “लेकिन हक़ीक़त में यह दोनों नेता मंचों और विधानसभा में तो सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं लेकिन इनका सूचना तंत्र इतना मज़बूत नहीं हैं कि हर छोटे बड़े मुद्दे को जनता के सामने ला सकें ,कांग्रेस के ही दूसरे अन्य नेताओं में प्रताप सिंह खाचरियावास मुद्दे उठाते हैं लेकिन वे एक बयान देने के बाद चुप हो जाते हैं शायद वे भी इस किसी दबाव के चलते मुद्दों को भुना नहीं पा रहे या फिर भी चुनावों में अभी लंबा समय है को देखते हुए समय का इंतज़ार कर रहे हैं !
एक समय में विपक्ष उसे ही कहा जाता था जो धरना प्रदर्शन करता था लेकिन वर्तमान समय में धरना प्रदर्शन की जगह है सोशल मीडिया ने ले ली है जनता का ध्यानाकर्षण सोशियल मीडिया के द्वारा ही सही तरीक़े से किया जा सकता है जिसका पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बख़ूबी उपयोग कर रहे हैं !

 

 

 

 

abhay