Former Chief Minister Gehlot wrote a letter to Chief Minister Bhajanlal!
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि हाल ही में जोधपुर प्रवास के दौरान मुझे यह अनुभव हुआ कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जनकल्याण और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार हेतु जिन विकास कार्यों की शुरुआत की थी, जो आज भी जनता की आवश्यकताओं से सीधे जुड़े हुए हैं लेकिन उनमें अपेक्षित प्रगति नहीं हो रही है। यह तथ्य स्वयं सिद्ध है कि जब सरकारें निरंतरता और दूरदृष्टि के साथ काम करती हैं, तभी जनता का विश्वास लोकतंत्र में और गहरा होता है।
इस दौरे में मैंने उन योजनाओं और संस्थानों का निरीक्षण किया, जिन्हें कांग्रेस सरकार ने सोच-समझकर आरंभ किया था। कई परियोजनाएँ अच्छी स्थिति में मिलीं, लेकिन अनेक कार्यों में अब भी प्रगति की कमी, प्रशासनिक विलंब और तकनीकी बाधाएं दिखीं। मेरा उद्देश्य किसी राजनीतिक तुलना का नहीं, बल्कि यह आग्रह करने का है कि विकास कार्यों को किसी भी सरकार की पहचान नहीं, बल्कि जनता के हक के रूप में देखा जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण से मैं आपके संज्ञान में निम्न बिंदु लाना चाहता हूँ –
1. प्रदेश में खेलों को प्रोत्साहन एवं विधिवत उच्च प्रशिक्षण देने हेतु लगभग 100 करोड़ रुपये लागत से जोधपुर एयफोर्स स्टेशन के पास स्टेट स्पोर्ट्स आवासीय सेंटर एवं खेल सुविधाओं का निर्माण शुरू किया गया था, जिससे करीब एक हजार युवा खिलाड़ी लाभान्वित होते। यह केन्द्र बनकर लगभग तैयार है। इसमें बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, लॉन टेनिस, कबड्डी, खो-खो इत्यादि के कोर्ट एवं एथलेटिक्स ट्रेक पूर्ण रूप से उपयोग हेतु तैयार हैं। मुझे बताया गया है कि वर्तमान में उपलब्ध 3.8 करोड़ रुपये की बचत राशि के उपयोग हेतु पत्रावली राज्य सरकार के स्तर पर लंबित है जिससे स्वीमिंग पूल एवं मल्टीपर्पज इण्डोर हॉल का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है। साथ ही नव निर्मित हॉस्टल्स भी राजस्थान स्टेट स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट को हैण्ड-ओवर नहीं किया गया है जिससे खिलाड़ी पुराने जर्जर हॉस्टल में रहने को मजबूर हैं।
2. चैनपुरा के अत्याधुनिक स्टेडियम का निर्माण कार्य भी अपूर्ण है परन्तु इसके कार्यों की गुणवत्ता निम्न स्तरीय होने की शिकायतें भी मिली हैं। कार्य की धीमी गति के कारण खिलाड़ियों हेतु निर्मित एथेलेटिक्स ट्रेक एवं अन्य सुविधायें उपयोग के अभाव में खराब होने की सम्भावनायें हैं।
3. जोधपुर के सुमेर उद्यान में सुमेर लाइब्रेरी संचालित थी जो अस्थायी तौर पर अभी नगर निगम के पुराने भवन में संचालित है। इसके नये भवन का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो गया है, परन्तु बजट स्वीकृति के अभाव में पूरा नहीं हो पा रहा है। कृपया आवश्यकतानुसार बजट स्वीकृति जारी करवायें जिससे भवन निर्माण का कार्य शीघ्र पूरा हो और युवाओं एवं आमज की सुविधा हेतु नये भवन में लाईब्रेरी का नियमित संचालन प्रारंभ हो सके।
4. पूर्ववर्ती सरकार द्वारा मारवाड़ मेडिकल यूनिवर्सिटी हेतु घोषित 500 करोड़ रुपये लागत वाली इस परियोजना में अभी भी स्थायी भवन का निर्माण कार्य बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। इस विश्वविद्यालय से तीन मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज एवं डेन्टल कॉलेज सम्बद्ध है तथा आगामी वर्ष में जोधपुर संभाग के अन्य मेडिकल कॉलेज भी इससे सम्बद्ध किये जाने की योजना है। ऐसी स्थिति विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण तीव्र गति से किया जाना नितान्त आवश्यक है जिससे अकादमिक एवं प्रशासनिक संचालन सुगमतापूर्वक हो सके। अभी कुलसचिव का कार्यालय तीन कमरों से संचालित हो रहा है।
5. मगरा पूंजला स्थित राजकीय आयुर्वेद नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र में निर्माणाधीन ऑडिटोरियम पर करीब 7 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन फिनिशिंग का काम न होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
6. सूचना केन्द्र भवन के विस्तार व नवीनीकृत मिनी ऑडिटोरियम की भी ऐसी ही स्थिति है, जिन्हें तैयार होने के बावजूद आमजन के उपयोग के लिए नहीं खोला गया है।
7. पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल एमडीएम में हमारी सरकार के कार्यकाल में तमाम नई सुविधाओं का विकास और विस्तार किया था। मुझे बताया गया है कि 81 करोड़ रुपये की देनदारी के कारण कई वेंडर्स ने अस्पताल को इलाज में काम आने वाले उपकरण एवं सूचर्स जैसे जरूरी सामान देने बन्द कर दिए हैं। मंडोर जिला अस्पताल, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड जिला अस्पताल, प्रताप नगर जिला अस्पताल एवं डिगाड़ी जिला अस्पताल में डाक्टर्स के पद खाली पड़े हैं तथा चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति में भी विलम्ब हो रहा है। जिससे आमजन में आक्रोश है।

















