शांति, स्वास्थ्य और क्षमा का दिया संदेश
अनेक परिवारों, छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, फिटनेस प्रेमियों आरएसएस सहित अनेक कॉर्पोरेट संस्थानों से आए प्रतिभागियों ने लगाई दौड़
पुणे। साधु वासवानी मिशन की युवा शाखा ब्रिज बिल्डर्स द्वारा आयोजित वैश्विक वॉकाथॉन ‘मूवमेंट ऑफ़ क़ाल्म’ का आयोजन एक साथ मुंबई, पुणे, नई दिल्ली, बेंगलूरु, कोलकाता, न्यूयॉर्क एवं टेनरिफ में सम्पन्न हुआ। इस वॉकाथॉन का उद्देश्य ग्लोबल फॉर्गिवनेस डे -2 अगस्त की पूर्व क्षमा के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना था। यह दिन दादा जे.पी. वासवानीजी की जयंती के रुप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने जीवनभर क्षमा, करुणा और शांति का संदेश दिया। पुणे में यह वॉक प्रातः 6:30 बजे कोरेगाँव पार्क की हरियाली से सजी गलियों में आरंभ हुई। लगभग 3 किलोमीटर की यह पदयात्रा साधु वासवानी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ (एसवीआईएमएस) से शुरू होकर वहीं समाप्त हुई। इस आयोजन से प्राप्त समस्त निधि का उपयोग आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की नि:शुल्क बाल-हृदय शल्य चिकित्सा हेतु किया जाएगा, जो मिशन के मानवीय सेवा प्रयासों का एक अभिन्न अंग है। हालाँकि, वॉक की सुबह मूसलधार वर्षा ने चुनौती उत्पन्न की, लेकिन पुणेवासियों की ऊर्जा और संकल्प में कोई कमी नहीं आई। करीब 800 से अधिक प्रतिभागियों ने पूरे उत्साह और एकाग्रता के साथ भाग लिया। एक विशेष बात यह रही कि वॉक के दौरान वर्षा लगभग थम गई, मानो स्वयं प्रकृति ने भी इस क्षमापूर्ण प्रयास को सहमति दी हो। इस दौरान अनेक परिवारों, छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, फिटनेस प्रेमियों तथा सेजिटिक कॉर्प, जेट सिंथेसिस, सिंबायोसिस कॉलेज, इनर व्हील, आरएसएस एवं रोटरी क्लब जैसे कॉर्पोरेट संस्थानों से आए प्रतिभागियों ने मिलकर ‘मुक्ति और क्षमा’ के इस संदेश को अपनाया। दीदी कृष्णकुमारीजी, जो मिशन की प्रमुख हैं, ने वॉकाथॉन का औपचारिक उद्घाटन किया। उन्होंने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए एक छोटी-सी ध्यानात्मक गतिविधि करवाई, जिससे वे यह अनुभव कर सकें कि किसी पुराने ग़िले या पीड़ा को पकड़ कर रखने से मन पर कैसा बोझ पड़ता है। इसके पश्चात उन्होंने क्षणिक क्षमा ध्यान का संचालन किया, ताकि सभी प्रतिभागी शांत और खुले हृदय से वॉक की शुरुआत कर सकें। उन्होंने कहा, या तो हम अपने भीतर की पीड़ा को दबा लेते हैं, या फिर उसे क्रोध के रुप में बाहर निकालते हैं। दोनों ही स्थितियाँ अंततः अशांति उत्पन्न करती हैं। जो भावनाएँ हमें भीतर से बोझिल बना रही हैं, उन्हें पहचानकर छोड़ देना ही सच्ची आंतरिक शांति की ओर पहला कदम है। इन शब्दों के साथ उन्होंने मशाल प्रज्वलित की और झंडी दिखाकर वॉकाथॉन का शुभारंभ किया। उन्होंने स्वयं भी पूरी वॉक में भाग लिया और प्रतिभागियों के साथ चलकर उपस्थिति और उद्देश्य का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
इस आयोजन का विशेष आकर्षण था “लेट-इट-गो” अनुभव..
इसमें प्रतिभागियों को आमंत्रित किया गया कि वे अपनी भीतर जमी हुई नकारात्मक भावनाएँ जैसे ग़ुस्सा, अपराधबोध, भय, या पीड़ा आदि एक पर्ची पर लिखें और उसे विशेष रूप से बनाए गए ‘लेट-इट-गो बॉक्स’ में डाल दें। यह बॉक्स वॉक के अंतिम बिंदु पर रखा गया था और प्रतीकात्मक रूप से ‘फ़िनिश लाइन’ बन गया। दीदी कृष्णकुमारीजी ने स्वयं सबसे पहला पर्चा डालकर सभी को प्रेरित किया कि वे अपने दिल के बोझों को जाने दें और आंतरिक शांति को अपनाएँ। एक विदेशी प्रतिभागी ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि अपने विचारों को ‘लेट-इट-गो बॉक्स’ में डालना, वास्तव में मुझे क्षमा के क़रीब ले गया। पहले लगता था क्षमा असंभव है, अब लगता है, यह संभव है।
वॉक के 3 किलोमीटर के मार्ग में 8 विशेष अनुभव ज़ोन बनाए गए थे..
ड्रॉप ज़ोन, लेट गो लेन, द चिल स्टॉप, वाइब चेकपॉइंट, नो बैगेज बेंड, रीसेट रुट, द शिफ्ट स्टॉप एवं अनलोड स्टेशन हर प्रतिभागी को 12 भावनात्मक स्टिकर्स वाली एक शीट दी गई थी (जैसे क्रोध, भय, चिंता, अपराधबोध)। प्रत्येक ज़ोन पर उन्हें एक भावना को प्रतीकात्मक रूप से छोड़ने के लिए आमंत्रित किया गया। वे उस भावना से जुड़ा स्टिकर एक बोर्ड पर चिपकाते और साबुन के बुलबुले उड़ाकर उस भावना को “मुक्त” कर देते। सभी वॉकर्स को वॉकाथॉन टी-शर्ट्स, रेनकोट्स, और वॉक के अंत में पौष्टिक नाश्ता प्रदान किया गया। मिशन के जन संपर्क अधिकारी नरेश सिंघानी ने बताया कि दादा जेपी. वासवानीजी का जीवन इसी संदेश के इर्द-गिर्द केंद्रित था
कि जब हृदय शांत होंगे, तभी संसार में शांति होगी।
उनकी जयंती 2 अगस्त को ग्लोबल फॉर्गिवनेस डे के रूप में मनाई जाती है। इस दिन, दोपहर 2 बजे, 2 मिनट का मौन रखा जाता है एक मोमेंट ऑफ़ क़ाल्म ताकि लोग क्षमा करें, क्षमा माँगें और विश्व में शांति की लहरें भेजें। वॉक के बाद उत्पन्न कीचड़ और गंदगी को आदर पूनावाला क्लीन सिटी इनिशिएटिव द्वारा तुरंत साफ किया गया, जिससे पर्यावरण की शुद्धता बनी रही।
मिशन के जन संपर्क अधिकारी नरेश सिंघानी ने बताया कि साधु वासवानी मिशन, जो एक गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) है, जिस के विश्वभर में 60 से अधिक केंद्र हैं। मिशन का उद्देश्य है स्थानीय समुदायों की सेवा करना। इसके प्रमुख क्षेत्र हैं शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास, अंगहीनों को कृत्रिम अंग, आपदा राहत, महिला कल्याण और अन्य मानवीय सेवाएँ आदि।

















