साधू वासवानी मिशन में तीन दिवसीय भक्ति व सेवा के कार्यक्रम सम्पन्न

Three day devotional and service 
program concluded at Sadhu Vaswani 
Mission

संत दादा वासवानीजी की पुण्यतिथि पर आध्यात्मिक श्रद्धांजलि

पुणे। यहां पर स्थित साधू वासवानी मिशन में संत दादा जेपी. वासवानीजी की सातवीं पुण्यतिथि के पावन उपलक्ष्य में 11 से 13 जुलाई तक तीन दिवसीय भावपूर्ण श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ। देश-विदेश से श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर एकत्रित हुए और प्रेम, क्षमा तथा सेवा के अमर संदेश देने वाली उस दिव्य आत्मा को भावपूर्वक नमन किया। सत्संग के साथ कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ। मिशन की प्रमुख दीदी कृष्णाकुमारीजी ने सुजाग थयो अर्थात जागो, चेतन बनो.. इन दो सिंधी शब्दों में दादाजी का अनंत संदेश सभी श्रद्धालुओं के हृदयों में जागृत किया। पुणे के कैम्प क्षेत्र में प्रभात फेरी निकाली गई। सजे हुए रथ पर दादाजी की भव्य तस्वीर थी, जो भजनों और कीर्तन के साथ करीब 3.5 किलोमीटर की यात्रा पर निकली। सड़कों पर भक्ति की सरिता बह उठी – हर स्वर, हर कदम में एक गूंज थी “दादा हमारे साथ हैं।” रविवार को प्रातः 11 बजे हवन, भजनों और कीर्तन के साथ पवित्र कार्यक्रम आरंभ हुआ। इसके बाद दीदी कृष्णाकुमारीजी ने अपने उद्बोधन में कहा, दादाजी आज भी मुझे विस्मित करते हैं। उनके जीवन की प्रत्येक क्रिया यह सिखाती है कि शब्द नहीं, बल्कि कर्म बोलते हैं। जन संपर्क अधिकारी नरेश सिंघानी ने बताया कि इस दौरान लंगर सेवा सभी के लिए आयोजित की गई। सायंकालीन सत्संग में पुनः दादाजी की शिक्षाएं ध्वनि-मुद्रण के माध्यम से प्रस्तुत की गई। उन्होंने बताया कि मिशन के अस्पतालों में रियायती दरों पर स्वास्थ्य सेवाएँ दी गईं। नगरपालिकाओं की स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को स्टेशनरी किट्स अर्थात् कॉपी, मोजे, रुमाल आदि सामग्रियों को वितरित किया गया। वहीं अनेक

ज़रुरतमंद परिवारों को राशन किट्स प्रदान की गई। सरकारी अस्पतालों में फल और बिस्किट व मिशन के कौशल प्रशिक्षण केंद्र की प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा निर्मित पुन: प्रयोग में आने वाली थैलियां बांटी गई। दुनियाभर के साधू वासवानी केंद्रों में भी इसी भावना से सत्संग और सेवा के आयोजन कर दादाजी को आदरांजलि अर्पित की गई।

दादा वासवानी ; एक जीवित संदेश..

दादा वासवानी एक युगद्रष्टा संत थे। वे मानवता के पुजारी, एक शिक्षाविद, साहित्यकार, प्रभावशाली वक्ता और अहिंसा के वैश्विक दूत के रुप में विश्वभर में विख्यात हुए। उन्होंने क्षमाशीलता को जीवन का मूल बना शांति का प्रचार किया। यही कारण है कि उनका जन्मदिवस दो अगस्त को ‘ग्लोबल फोर्गिवनेस डे’ यानी वैश्विक क्षमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। दीदी कृष्णाकुमारीजी के नेतृत्व में साधू वासवानी मिशन सतत रुप से निस्वार्थ सेवा में संलग्न है। जिसके तहत निःशुल्क शिक्षा, नित्य अन्नदान, चिकित्सा सेवा, आपदा राहत और पशु-सेवा आदि ये सभी कार्य दादा वासवानी की आध्यात्मिक दृष्टि का जीवंत प्रतिबिंब हैं। “दादा अब शरीर में नहीं, परंतु चेतना में सदा जीवित हैं – वहाँ, जहाँ प्रेम है, जहाँ क्षमा है, जहाँ सेवा है।”

abhay