हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं का अपना-अपना स्थानीय महत्त्व

जहाँ भारत में हिन्दी भाषा एक दूसरे को जोड़ने में सहयोगी वही विश्व में अंग्रेज़ी

(अभय सिंह चौहान)

नई दिल्ली, 20 जून।
हिंदुस्तान में हिंदी और अंग्रेज़ी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है जहाँ एक तरफ़ भाजपा हिन्दी के महत्व को बता रही है वहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इसे आज की ज़रूरत बता रहे हैं ,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मोहन भागवत भी हिन्दी भाषा पर ज़ोर दे रहे हैं लेकिन भारत एक बहुभाषी देश है जहाँ हर सौ किलोमीटर पर उसकी संस्कृति और भाषा परिवर्तित हो जाती है और हिन्दुस्तान में हिंदी भाषा ही पूरे देश को जोड़े रखती है लेकिन वहीं पूरे विश्व में लगभग सभी देशों में स्थानीय भाषाओं के साथ अंग्रेज़ी भाषा भी प्रचलन में है तो अंग्रेज़ी पूरे विश्व को जोड़ने में सहयोगी भाषा है अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेश यात्रा पर गए तो उनके साथ द्विभाषी भी थे जिन्होंने प्रधानमंत्री की हिंदी भाषा को अंग्रेज़ी में परिवर्तित कर अपनी बात को रखा साथ ही अंग्रेज़ी भाषा को हिंदी में परिवर्तित कर सामने वाले की बात को प्रधानमंत्री के समक्ष रखा !

हिंदी भारत में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जो हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाती है ।

अंग्रेजी को दुनिया की सबसे सफल भाषा के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। यह 20वीं सदी में एक वैश्विक भाषा के रूप में विकसित हुई है , इंटरनेट पर सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है इसलिए दोनों भाषाओं का अपनी जगह है अपना अपना महत्व है, नेताओं को चाहिए कि इस विवाद में न पड़कर हिन्दी भाषा को मज़बूती प्रदान करने का कार्य करें !

*जल्द ही भारत में ऐसा समय आएगा जब अंग्रेजी बोलने वाले खुद को शर्मिंदा महसूस करेंगे-अमित शाह*

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि जल्द ही भारत में ऐसा समय आएगा जब अंग्रेजी बोलने वाले खुद को शर्मिंदा महसूस करेंगे। ऐसे समाज का निर्माण अब दूर नहीं है। किसी विदेशी भाषा में आप अपनी संस्कृति, धर्म और इतिहास को नहीं समझ सकते हैं। गृहमंत्री ने यह बात आशुतोष अग्निहोत्री की किताब के विमोचन के मौके पर कही थी।

*अंग्रेजी जंजीर नहीं जंजीर तोड़ने का जरिया है, यह शर्म नहीं शक्ति है-राहुल गांधी*

बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अंग्रेजी बोलने वाले बयान पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पलटवार कर कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नहीं चाहते कि गरीब के बच्चे अंग्रेजी सीखे।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया कि अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं – जंजीरें तोड़ने का औजार है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा, भाजपा-आरएसएस वाले नहीं चाहते हैं कि गरीब के बच्चे पढ़-लिखकर सवाल पूछें, आगे बढ़ें और बराबरी करें। आज के समय में अंग्रेजी उतनी ही जरूरी है जितनी आपकी मातृ भाषा – क्योंकि यही रोजगार दिलाएगी और आत्मविश्वास बढ़ाएगी।

राहुल ने कहा अगर आप अंग्रेजी सीख जाते हैं तो कहीं भी घुस सकते हैं। आपके लिए बड़ी नौकरियों के दरवाजे खुल सकते हैं।

राहुल ने कहा, भाजपा व आरएसएस वाले नहीं चाहते कि गरीब के बच्चे अंग्रेजी सीखें।

राहुल ने कहा कि भारत की हर भाषा में आत्मा है, संस्कृति है, ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेजी सिखानी है। यही रास्ता है एक ऐसे भारत का, जो दुनिया से मुकाबला करे, जो हर बच्चे को बराबरी का मौका दे।

राहुल ने पोस्ट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है। जिसमें वह बता रहे हैं कि अंग्रेजी एक हथियार है। आप अगर अंग्रेजी सीख जाते हैं तो कहीं भी घुस सकते हैं। आप अमेरिका, जापान और कहीं भी जा सकते हैं। आप कहीं भी काम कर सकते हैं। अंग्रेजी के

खिलाफ जो लोग हैं वो नहीं चाहते हैं कि आपको करोड़ों रुपये की नौकरी मिले। वो चाहते हैं कि दरवाजा आपके लिए बंद रहे।

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