19 साल बाद साथ दिखे ठाकरे बंधु – महाराष्ट्र में मराठी एकता का बिगुल

Thackeray brothers seen together after 19 
years – trumpet of Marathi unity 
in Maharashtra

राज ठाकरे बोले: “फडणवीस ने हमें एक कर दिया”
उद्धव ठाकरे ने कहा: “अब कोई धुरी नहीं, हम साथ आए हैं… साथ रहने के लिए”
संवाद दाता अरविंद कोठारी

मुंबई,शनिवार को मुंबई के वर्ली डोम में एक ऐतिहासिक क्षण साकार हुआ, जब महाराष्ट्र की राजनीति के दो बड़े चेहरे – राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, पूरे 19 साल बाद एक ही मंच पर साथ नज़र आए।
यह मंच सिर्फ भाषणों का नहीं, बल्कि मराठी अस्मिता की एकता, राजनीतिक पुनर्मिलन, और भविष्य के गठबंधन की बुनियाद बन गया।

उद्धव ठाकरे का संदेश: “हम कट्टर मराठी हिंदू हैं, पर हिंदी नहीं!”

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सभा में जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र को बाँटने की कोशिश करने वालों को अब जवाब देना होगा:
“हम हिंदू हैं, हिंदुस्तानी हैं — लेकिन जबरदस्ती हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मराठी को अगर न्याय मांगने पर गुंडा कहा जाएगा, तो हम गुंडे हैं!”
उन्होंने कहा कि:“जब संकट आता है, हम एक होते हैं। जब संकट टलता है, हम बिखर जाते हैं। अब ऐसा नहीं होना चाहिए।”
उद्धव ने मंच से यह स्पष्ट संकेत भी दिया कि राज ठाकरे के साथ गठबंधन संभव है:
आज हमारा साथ आना भाषण से ज़्यादा अहम है। अब हमें एक साथ रहना है। अब कोई धुरी नहीं चाहिए।
राज ठाकरे का हमला: “सरकार के पास बहुमत हो सकता है, पर सड़कों पर ताक़त हमारी है”
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा: फडणवीस ने हमें एक कर दिया! आज जबरन हिंदी थोपने की साज़िश हो रही है, हमें अब बालासाहेब ठाकरे का सपना फिर से साकार करना है।
उन्होंने दो टूक कहा“मुझे नहीं पता आगे क्या होगा… लेकिन मराठी के लिए एकता बनी रहनी चाहिए।”
राज ठाकरे ने यह भी ऐलान किया कि मराठी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा, और यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
राजनीतिक संदेश: BJP पर तीखा वार – गठबंधन का खुला संकेत
राज और उद्धव दोनों के बयानों में BJP के खिलाफ गहरा आक्रोश और भावनात्मक एकजुटता दिखी। यह सभा केवल एक सांस्कृतिक एकता की मांग नहीं थी, बल्कि एक नए राजनीतिक समीकरण की घोषणा जैसी थी।
यह सिर्फ मंच साझा नहीं, सत्ता की बुनियाद का संकेत है
यह मंच साझा करना मात्र औपचारिकता नहीं था, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित भूचाल का संकेत है।
राज और उद्धव ठाकरे का एक साथ आना — BJP के लिए कड़ी चुनौती बन सकता है, खासकर शहरी मराठी मतदाताओं में।
19 साल बाद राज-उद्धव एक साथ

मराठी के मुद्दे पर एकजुटता की हुंकार

भाजपा पर सीधा हमला – “इस्तेमाल कर फेंकती है” नीति का आरोप
हिंदी थोपने के खिलाफ खुली चेतावनी
राज का ऐलान – “बालासाहेब का सपना फिर से जीवित करेंगे”

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