चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के चुनाव मार्च 2025 में होंगे : हाई कोर्ट का आदेश

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  चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के चुनाव मार्च 2025 में होंगे : हाई कोर्ट का आदेश

 चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन (COA) के लंबे समय से अटके चुनावों पर अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस कुलदीप तिवारी की बेंच ने 17 जनवरी 2025 को आदेश दिया कि एसोसिएशन के चुनाव मार्च 2025 में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं। यह फैसला संगठन में चार साल से जारी गुटबाजी और चुनावी विवादों को समाप्त करने के उद्देश्य से लिया गया है।

चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के आखिरी चुनाव 2016 में हुए थे। इसके बाद कोविड-19 महामारी और संगठन के भीतर बढ़ते विवादों के चलते नए चुनाव टलते रहे। 2021 में दो अलग-अलग गुटों ने अपने-अपने चुनाव करवाए थे, लेकिन विवाद और वैधानिक मुद्दों के कारण दोनों चुनाव मान्य नहीं माने गए। इस विवाद को लेकर एसोसिएशन के 32 में से 24 सदस्यों ने हाई कोर्ट का रुख किया।
हाई कोर्ट का निर्देश

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हाई कोर्ट ने निष्पक्ष चुनाव के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए :

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एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति : चुनाव प्रक्रिया का संचालन एक स्वतंत्र एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किया जाएगा। एडमिनिस्ट्रेटर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी से कम रैंक का नहीं होगा।

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सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड की सौंपने की अनिवार्यता : मौजूदा पदाधिकारी एडमिनिस्ट्रेटर को सभी जरूरी दस्तावेज और रिकॉर्ड सौंपेंगे।

चुनाव प्रक्रिया : यह प्रक्रिया भारतीय ओलंपिक संघ और राष्ट्रीय खेल विकास कोड, 2011 के नियमों के तहत आयोजित होगी।

चुनाव के बाद का प्रबंधन : सफलतापूर्वक चुनाव होने के बाद एडमिनिस्ट्रेटर नए चुने गए पदाधिकारियों को चार्ज सौंपेंगे।

हाई कोर्ट ने इस फैसले को सभी पक्षों की सहमति के आधार पर लिया और कहा कि यह निर्णय एसोसिएशन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि यह कदम संगठन को नई दिशा देगा और खेलों के विकास में तेजी लाएगा।
आगे की राह

मार्च 2025 में होने वाले चुनाव चंडीगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन के लिए एक नई शुरुआत साबित हो सकते हैं।

खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं: चुनावों के बाद एसोसिएशन का ध्यान खिलाड़ियों को सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराने पर होगा। नेशनल गेम्स की मेजबानी: संगठन की स्थिरता से चंडीगढ़ में नेशनल गेम्स की मेजबानी का रास्ता भी साफ हो सकता है। गुटबाजी का अंत: निष्पक्ष चुनाव से संगठन में चल रही गुटबाजी खत्म होने की संभावना है।

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