Question marks raised on the role
of Election Commission before
Bihar elections: Gehlot
जयपुर 4 जुलाई । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिहार चुनाव से पूर्व चुनाव विभाग कि भूमिका पर सवाल उठते हुए कहा कि लंबे अरसे से कह रहा हूं कि देश किस दिशा में जा रहा है और किस दिशा में जाएगा इसका यह नमूना है उन्होंने कहा कि चुनाव विभाग ने जो व्यवहार किया है कांग्रेस नेताओं के साथ में मेरे ख्याल से इतिहास में, आजादी के बाद में पहली बार इलेक्शन कमीशन के जो भी लोग थे चेयरमैन थे मेंबर थे या जो भी व्यवहार किया गया है जिसने भी किया है मैं समझता हूं वो बहुत अनफॉर्चुनेट है। मैने कभी सुना ही नहीं, उन्होंने कहा कि हम लोग भी कई बार चुनाव विभाग गए हैं हम ने भी कई ऐसी बाते कही होंगी उससे हो सकता है चेयरमैन को, ईसीआई चेयरमैन को या मेंबर को अच्छा नहीं लगा होगा तब भी उनका व्यवहार बड़ा शालीनता से होता था, उनकी ड्यूटी भी है कि कोई नागरिक है देश का मतदाता कोई भी है, नेता है पॉलिटिकल पार्टी का उसको धैर्य से सुनें और निष्पक्ष फैसला करें ये ड्यूटी का हिस्सा है। समस्या का निदान बहुत बड़ी ड्यूटी है ।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया किसे कहते हैं जिसके ऊपर पूरा चुनाव डिपेंड करता है बहुत बड़ी संस्था है बहुत क्रेडिबल संस्था है उसके बारे में जो कल परसों सुन रहे हैं जो व्यवहार किया गया है मैं समझता हूं वह बहुत ही अशोभनीय है इनकी किन शब्दों में आलोचना करूं मेरी समझ नहीं आ रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पहले भी राहुल गांधी जी ने महाराष्ट्र को लेके कई सवाल उठाए थे उसका भी प्रॉपर जवाब नहीं दे पाए ये लोग। इसके कारण उनको आर्टिकल लिखना पड़ा, उसका भी कोई जवाब नहीं तो ये व्यवहार इलेक्शन कमीशन के पार्ट पर किसी भी ढंग से उचित नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल से इसका रिएक्शन पूरे देश में हो रहा हैं और बहुत भयंकर रिएक्शन है। इस प्रकार का व्यवहार तो मैंने कभी सुना नहीं किसी डेलिगेशन हो विपक्ष का हो इंडिया गठबंधन का हो ऐसा व्यवहार तो मैंने कभी सुना ही नहीं ये पहली बार मैं सुन रहा हूं , आप सोच सकते हो कि देश कहां जा रहा है कैसे जाएगा, सब दबाव में काम कर रहे हैं देश के अंदर, इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई को पहले से हम कह रहे हैं दबाव में ये प्रीमियर संस्था तीनों हैं। इंपॉर्टेंट संस्था हैं देश के लिए मैं बार बार कहता हूं। ये कोई काम नहीं हैं ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई, इनकी जो भूमिका है वो देशहित में है पर जो दबाव में इनको लिया गया है जो अन्याय हो रहा है विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ में वो जगजाहिर है। पार्लियामेंट में जवाब आया है 200 लगभग, 193 केसेज इन्होंने किए हैं , 2 में अप्रूव कर पाए हैं। माने 1 पर्सेट, तो कितना तंग किया होगा लोगों को, उनके परिवार वालों पर क्या बीती होगी ? जिस मुल्क में ये स्थिति चल रही हो, दबाव में ज्यूडिशियरी हो, इलेक्शन कमीशन सहित संस्थाएं हों , ब्यूरोक्रेसी हो, तो कैसे डेमोक्रेसी की बात जो करते हैं । देश में डेमोक्रेसी कमजोर होती जा रही है देश हित में नहीं है और सोचने वाली बात है जो आज सत्ता में हैं प्रधानमंत्री हों या इनके नेता हों , सत्ता पक्ष जो होता है या सत्ता पक्ष तभी होता है जब विपक्ष होता है और विपक्ष की बात नहीं मानोगे आप सुनोगे, तो देश भी तकलीफ पाएगा आप भी तकलीफ पाओगे।

















