सर्दियों मे भारत के कोने-कोने में खाए जाते हैं ये साग

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  सर्दियों मे भारत के कोने-कोने में खाए जाते हैं ये साग

सर्दियों के दिनों में लोग हरी पत्तेदार सब्जियां प्रमुखता से खाते हैं। इनमें भी सरसों का साग काफी खाया जाता है। सरसों का साग पंजाब की सिग्नेचर डिश है और ठंड के दिनों में हर घर में बनती है। हालांकि, अगर आप यह सोचते हैं कि सर्दियों में सिर्फ सरसों का साग ही खाया जाता है तो आप गलत है। इस मौसम में भारत के अलग-अलग राज्यों में कई तरह के अलग-अलग पारंपरिक साग बनाए जाते हैं। इनका ना केवल स्वाद और टेक्सचर अलग होता है, बल्कि ये क्षेत्रीय रीति-रिवाजों और संस्कृति के बारे में भी काफी कुछ बताते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत के अलग-अलग राज्यों में बनने वाले साग के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अक्सर लोग ठंड के दिनों में बनाते हैं-

 सरसों का साग (पंजाब)

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शायद ही कोई पंजाबी हो, जिसे सरसों का साग पसंद ना हो। इस डिश को सरसों के साग और कुछ मसालों का उपयोग करके बनाया जाता है। इसे बनाते समय पालक और बथुआ भी डाला जाता है। सरसों के साग का क्रीमी टेक्सचर होता है और अमूमन लोग इसे मक्की के आटे से बनी रोटी के साथ खाना काफी पसंद करते हैं। साथ ही, बहुत सारा सफेद मक्खन टेस्ट को कई गुना बेहतर बना देता है। 
गुंडी साग (ओडिशा)

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ओडिशा में लोग गुंडी साग बड़े चाव से खाते हैं। इस साग को गुंडी के पत्तों की मदद से बनाया जाता है। यह एक नई हरी किस्म है, जिसका उपयोग इसके विशेष स्वाद और औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। गुंडी के पत्तों को पारंपरिक ओडिशा के मसालों के साथ पकाया जाता है। इसे सूखी लाल मिर्च, जीरा और लहसुन से बनाया जाता है। साथ ही, इसमें ओडिशा के पांच मसालों का तड़का लगाया जाता है। 

साई भाजी (सिंधी)

यह सिंधियों की स्पेशलिटी है। साई भाजी दाल, सब्जियों और पालक और अन्य साग का एक बैलेंस है। इसे बनाते समय मौसमी साग जैसे मेथी के पत्ते, डिल और ताजा पालक आदि का इस्तेमाल किया जाता है। उबालने पर, चने की दाल प्रोटीन और क्रीमी टेक्सचर देती है। टमाटर, गाजर और आलू जैसी सब्जियां इस डिश के पोषक तत्वों को बढ़ाती है। 


लाल साग भाजा (पश्चिम बंगाल)

लाल साग भाजा विशेष रूप में पश्चिम बंगाल में खाया जात है। इसे अमरनाथ के पत्ते यानी लाल साग की मदद से तैयार किया जाता है। ताज़े लाल अमरनाथ के पत्तों को हरी मिर्च, पंचफोरन (पांच मसालों का मिश्रण) और साग की हल्की कड़वाहट को दूर करने के लिए थोड़ी चीनी के साथ स्टर फ्राई किया जाता है। 

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