अलविदा 2024: एसआईईआरटी ने गाड़े सफलता के झंडे
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की शिक्षा क्षेत्र में निरंतर सुधारात्मक और विकासात्मक पहलें राज्य के भविष्य को उज्जवल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2024-25 में किए गए कई कार्य इस बात के गवाह हैं कि सरकार शिक्षा के स्तर में सुधार, छात्रों के समग्र विकास और शिक्षकों के उत्कृष्ट प्रशिक्षण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
इन पहलों के अंतर्गत, समग्र आकलन के लिए होलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड का विकास, डिजिटल लिट्रेसी और कोडिंग पाठ्यक्रम का निर्माण, जीवन कौशल और गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सुधार और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया। पीएम ई-विद्या योजना के तहत राज्यभर में डीटीएच चैनल्स के माध्यम से शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित की गई। इसके साथ ही, शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए 'शोध संगम' पत्रिका, इंटर्नशिप मैनुअल और 'कवच' सुरक्षा प्रशिक्षण मॉड्यूल जैसी योजनाएं शुरू की गईं।
प्रदेश सरकार के नेतृत्व में, इन क्रांतिकारी परिवर्तनों ने उत्तर प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र को नया आकार दिया और इसे गुणवत्ता में वृद्धि के लिए मजबूती से दिशा प्रदान की।
एससीईआरटी ने गाड़े सफलता के झंडे: संदीप सिंह
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने जारी अपने बयान में बताया कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में 2024 का वर्ष राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने बेहद महत्वपूर्ण कार्य किया है। एससीईआरटी के प्रयासों ने शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के साथ छात्रों और शिक्षकों के समग्र विकास को नई दिशा दी। एससीईआरटी के इन प्रयासों ने उत्तर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह न केवल छात्रों के शैक्षिक भविष्य को उज्जवल बना रहा है, बल्कि शिक्षकों को भी नई तकनीकों और विचारों से लैस कर रहा है।
डिजिटल शिक्षा की ओर बढ़ते कदम
डिजिटल युग की मांग को देखते हुए, कक्षा 6, 7 और 8 के लिए डिजिटल लिट्रेसी, कोडिंग, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों पर पाठ्यक्रम तैयार किए गए। इन पाठ्यक्रमों के लिए 281 मास्टर ट्रेनर्स और 14000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया, जिससे तकनीकी ज्ञान का प्रसार तेज हुआ। ज्ञातव्य हो कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शेष विज्ञान वुशाय के शिक्षकों का प्रशिक्षण गतिमान है।
शोध और प्रशिक्षण में प्रगति
शिक्षकों और प्रवक्ताओं के शोध कार्य में सुधार लाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। लगभग 300 प्रवक्ताओं को प्रशिक्षित किया गया और ‘शोध संगम’ पत्रिका का विमोचन किया गया। यह पत्रिका शिक्षकों को मार्गदर्शन देने और उनकी क्षमताओं को निखारने का एक सशक्त माध्यम बन रही है।
समावेशी शिक्षा और डिजिटल सामग्री
समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करते हुए भारतीय संकेत भाषा सहित 'प्रज्ञप्ति' यूट्यूब चैनल पर ई-कंटेंट उपलब्ध कराया गया। वहीं, पीएम ई-विद्या योजना के तहत आवंटित 5 डीटीएच चैनलों के माध्यम से कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम आधारित सामग्री प्रदान की जा रही है, जिससे दूरस्थ शिक्षा को बल मिला है।
जीवन कौशल और गणितीय क्षमता का विकास
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिन्हित 10 जीवन कौशलों को विकसित करने के लिए 'दर्पण' मॉड्यूल तैयार किया गया। प्रति जनपद 400 शिक्षकों को प्रशिक्षित कर उन्हें छात्रों में इन कौशलों का प्रसार करने में सक्षम बनाया गया। साथ ही, कक्षा 6, 7 और 8 के लिए गणित की पुस्तक 'समझ' का विकास किया गया, जिससे गणितीय अवधारणाओं को सरल और रोचक बनाया गया।
कला और बुनियादी शिक्षा पर ध्यान
कक्षा एक के बच्चों के लिए कला कार्यपुस्तिका 'किसलय' तैयार की गई, जबकि फाउंडेशनल स्टेज की सामग्री का पुनरीक्षण जारी है। इन प्रयासों का उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करना है।
सुरक्षित विद्यालयी वातावरण का निर्माण
'कवच' नामक प्रशिक्षण मॉड्यूल के माध्यम से सुरक्षित विद्यालयी वातावरण सुनिश्चित करने के लिए 28,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और पाठ्यपुस्तकों का सुधार
जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के लिए दो अरब रुपये का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया। साथ ही, कक्षा एक और दो की एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों का कस्टमाइजेशन किया गया, जबकि कक्षा तीन की पुस्तकों के लिए यह प्रक्रिया जारी है।
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