कैसे बनी आतिशी आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद !

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कैसे बनी आतिशी आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद !

आम आदमी पार्टी ने नया दांव चलते हुए दिल्ली में महिला को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया है. इस्तीफा देने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह यह दूसरा मास्टर स्ट्रोक है इसके जरिए उन्होंने दिल्ली की 50 लाख वाली आधी आबादी यानी महिलाओं को साधने का काम किया है और गौरतलब है कि इसी साल मार्च के बजट में वित्त मंत्री आतिशी ने दिल्ली की महिलाओं को सम्मान योजना के तौर पर हजार रुपए देने की घोषणा की थी जो अब परवान चढ़ने के आसार हैं. वह भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले. यानी बीजेपी और कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी तीसरी ऐसी पार्टी बन गई है जिसने भावी मुख्यमंत्री के तौर पर महिला चेहरे को आगे किया है.
मार्क्स और लेनिन के नाम पर प्रेरित होकर आतिशी के पिता ने उनका सरनेम मार्लेना रखा था लेकिन बाद में आतिशी ने अपने नाम से इस सरनेम को हटा दिया,विपक्षी पार्टियों द्वारा आतिशी को ईसाई बता कर अफवाह उड़ाई जा रही थी, जबकि वो एक पंजाबी राजपूत हैं. इसलिए उन्होंने पार्टी के कहने पर अपने नाम से 'मार्लेना' हटाया !

IMG_0073ऑक्सफोर्ड से पढ़ी हैं आतिशी

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आतिशी  की पढ़ाई दिल्ली के स्प्रिंगडेल स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स में बैचलर डिग्री हासिल की. 1998 से 2001 ग्रेएजुएशन के बीच उन्हें अकादमिक उत्कृष्टता के लिए सुमितोमो-सेंट स्टीफंस छात्रवृत्ति, कॉलेज के जीवन में समग्र योगदान के लिए राजपाल मेमोरियल अवार्ड और ग्रेजुएशन में टॉप करने के लिए डीयू द्वारा दीपचंद स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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2001 में चेवेनिंग स्कॉलरशिप के माध्यम से उन्हें विदेश में पढ़ाई करने का मौका मिला. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से प्राचीन और आधुनिक इतिहास (2001-2003) में मास्टर्स किया. भारत लौटने के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में एक साल तक पढ़ाया लेकिन 2005 में रोड्स स्कॉलशिप पर फिर से लंदन चली गईं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एजुकेशन रिसर्च (2005-2006) में मास्टर्स किया था. ऑक्सफोर्ड से पोस्ट ग्रेजुएट आतिशी केजरीवाल के सबसे बड़ी भरोसेमंद मौजूदा सरकार में सबसे ज्यादा विभागों वाली मंत्री रहीं और फिर विधायक दल की नेता चुनी गईं और अब आतिशी नई मुख्यमंत्री होंगी !

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पार्टी का सबसे बड़ा महिला चेहरा

दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता अभी तक दिखाई नहीं दिया. एक महिला युवा चेहरा विश्वास पात्र है लेकिन केजरीवाल के मुकाबले भाजपा का कोई चहरा नहीं है और अब जब नई मुख्यमंत्री के तौर पर एक महिला का चेहरा सामने आ गया है मुजाहिद तौर पर भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है. प्रदेश कार्यालय बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बहुत जल्द पार्टी अपने दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए और नए सीएम चेहरे के बाद रणनीतिक तौर पर बदलाव करेगी. लेकिन हर एक मंच से आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर-जोर से उठाने का काम किया जाएगा.

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आतिशी के पास सबसे ज्यादा मंत्रालय

देश की राजनीति में जिस नेता को सबसे ज्यादा मंत्रालय दिए जाते हैं और जो मंत्रालय दिए जाते हैं, उससे तय होता है कि उसकी भूमिका भी कितनी बड़ी रहने वाली है। इसी कड़ी में अगर आतिशी को रखकर सोचा जाए तो पता चलता है कि वर्तमान आम आदमी पार्टी की सरकार में 14 मंत्रालय आतिशी के पास थे। यहां भी शिक्षा, लोक निर्माण विभाग और वित्त मंत्रालय भी आतिशी ने संभाल रखे थे। यह बताने के लिए काफी है कि कम उम्र होने के बावजूद भी सरकार में उनका रोल काफी बड़ा था, उनकी भूमिका निर्णायक थी, अब कहना चाहिए उस मेहनत, उस जिम्मेदारी का सियासी फल आतिशी को मिल गया है।


जेल में बड़े नेता, सबसे बुलंद आवाज आतिशी

नेता बनने का एक बड़ा गुण अच्छा वक्ता होना होता है। जिसको भाषण देना आता हो, जो लोगों की भावनाओं को छू सके, ऐसे लोगों की सियासी पारी सफल मानी जाती है। अब जिस तरह से आतिशी ने बड़े नेताओं के जेल जाने के बीच में पार्टी को संभाल रखा, जिस तरह से वे मीडिया को संबोधित करती रहीं, साफ था कि उन्होंने ही मोर्चा संभाल रखा था। कई मौकों पर बीजेपी ने घेरने की कोशिश की, लेकिन आतिशी ने हमेशा तर्कों को आधार बनाकर पार्टी का बचाव भी किया और अपने विरोधियों को चित करने की भी कवायद की। अब उनकी वो ताकत उन्हें सीएम कुर्सी तक लेकर आ गई है।

केजरीवाल की करीबी, सुनीता को भी संभाला

आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, इसका पहला संकेत तो स्वतंत्रता दिवस से पहले ही मिल गया था। असल में जेल में रहते हुए केजरीवाल की तरफ से एक चिट्ठी लिखी गई थी, उसमें कहा गया था कि उनकी अनुपस्थिति में आतिशी ही ध्वजारोहण करेंगी। यह बताने के लिए काफी रहा कि केजरीवाल सबसे ज्यादा आतिशी पर ही भरोसा करते हैं। वे चाहते तो राघव चड्ढा से लेकर किसी भी दूसरे नेता का नाम ले सकते हैं, अनुभवी गोपाल राय को मौका दे सकते थे, लेकिन उन्होंने आतिशी को ही आगे करने का फैसला किया। यह अलग बात है कि बाद में एलजी ने कैलाश गहलोत को वो जिम्मेदारी सौंप दी थी, लेकिन केजरीवाल का संदेश साफ था।


स्वाति विवाद के बाद डैमेज कंट्रोल, महिला चेहरा आगे

यहां समझने वाली बात यह है कि आम आदमी पार्टी के लिए इस समय महिला सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा बना हुआ है। जब से स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल के पूर्व पीए बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की, आम आदमी पार्टी फंसती चली गई। बीजेपी ने चुनाव के दौरान भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया और आप पूरी तरह बैकफुट पर दिखी। अब आतिशी के रूप में पार्टी के पास एक सशक्त महिला चेहरा है जिसे आगे कर वे डैमेज कंट्रोल कर सकते हैं। इसके ऊपर आतिशी ने क्योंकि स्वाति मामले में भी मुखर रूप से पार्टी का बचाव किया था, उनको सीएम बना बड़ा संदेश देने की कोशिश है। एक महिला को सीएम बना दिल्ली की आधी आबादी को मैसेज देने की कोशिश है कि आप कोई महिला विरोधी नहीं, बल्कि उन्हें सशक्त करने वाली पार्टी है।

संगठन पर पकड़, हर गुट करता समर्थन

आतिशी 2013 से ही आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं, वे मनीष सिसोदिया की भी काफी भरोसेमंद हैं। उन्हें तो वे अपना राखी भाई तक मानती हैं। एक समय तक वे उनकी एडवाइजर के रूप में भी काम कर चुकी हैं। इस वजह से पार्टी में सिसोदिया के जो समर्थक हैं, वो आतिशी को पसंद करते हैं। इसी तरह आतिशी ने इतने सालों में अरविंद केजरीवाल के साथ भी अपने सियासी रिश्तों को अच्छा बनाए रखा है, वहां कोई तनाव नहीं है। ऐसे में उनकी पसंद पार्टी के तमाम नेताओं की भी पसंद मानी जा सकती। आतिशी के फेवर में यह बात भी जाती हैं कि वे खुद किसी गुट के साथ जुड़ी हुई नहीं दिखाई देती हैं, ऐसे में उन्हें आगे करने से पार्टी में बिखराव की संभावना ना के समान है।

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