राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई 6 दिसंबर को
नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर गृह मंत्रालय को फैसला करने का आदेश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के रिकॉर्ड दाखिल करने का निर्देश दिया। चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के रिकॉर्ड को पेश किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर गौर करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि वो याचिका ज्यादा विस्तृत है लेकिन लगता है कि दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका की तरह ही है। तब सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई से इस हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई का कोई लेना-देना नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने एएसजी चेतन शर्मा से पूछा कि क्या सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। तब चेतन शर्मा ने कहा कि वे इस पर निर्देश लेकर सूचित करेंगे।
सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए और बताया कि ये मामला एडवांस चरण में है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं और फिलहाल मामले की जांच सीबीआई कर रही है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि वे चाहते हैं कि हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार का उल्लंघन नहीं करें। तब इलाहाबाद हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें पूरे दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने की अनुमति दी जाए। तब कोर्ट ने 6 दिसंबर तक दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता को इस मामले में भी पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने को कहा।
हाई कोर्ट ने 9 अक्टूबर को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को दाखिल करने के लिए समय दिया था। हाई कोर्ट ने 27 सितंबर को कहा था कि वो इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद ही सुनवाई जारी रखेंगे, क्योंकि वे नहीं चाहते कि दिल्ली हाई कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार का मामला सुने।
इसके पहले 20 अगस्त को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद दलीलें रखते हुए कहा था कि उन्होंने 2019 में गृह मंत्रालय को लिखा था कि बैकओप्स लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन ब्रिटेन में 2003 में हुआ था और राहुल गांधी उस कंपनी के निदेशकों में से एक थे। याचिका में कहा गया है कि कंपनी की ओर से 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को भरे गए सालाना आयकर रिटर्न में कहा गया है कि राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की है।
याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने खुद को भंग करने के लिए 17 फरवरी, 2009 को जो अर्जी दाखिल की थी, उसमें भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की बताई गई है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन है। अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो वो भारत का नागरिक नहीं रह सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल, 2019 को राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि इस संबंध में दो हफ्ते के अंदर स्पष्टीकरण दें लेकिन इसके पांच वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे में कोर्ट गृह मंत्रालय को इस संबंध में फैसला लेने का दिशा-निर्देश जारी करे।
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