अन्य उपक्रमों में समायोजित हो सकते हैं कर्मचारी

जयपुर। राजस्थान में संभवतः पहली बार किसी कंपनी को राजकीय उपक्रम के रूप में पुनर्जीवित किया जा रहा है। जी हां, राजस्थान ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ( RDPL) इसी वित्तीय वर्ष के दौरान पीपीपी मोड पर शुरू होने की संभावना है। इसके लिए वित्त विभाग ने कुछ शर्तों के तहत सहमति दे दी है। इस कंपनी में वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों के बकाया वेतन-भत्तों आदि का वन टाइम सेटलमेंट करते हुए उन्हें इसी कंपनी अथवा अन्य राजकीय उपक्रमों में समायोजित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान (दवा) योजना के तहत दवाइयों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए उच्च स्तर पर RDPL को पुनर्जीवित करने का फैसला किया गया है। रीको और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त स्वामित्व वाली यह कंपनी अभी बंद पड़ी है। इस कंपनी की जमीन की ही कीमत 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
सूत्रों के मुताबिक इस कंपनी को पुनर्जीवित कर चलाने से पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अन्य प्रदेशों की सरकारी दवा कंपनियां और उनके संचालन की स्टडी भी कर रहा है। इसके लिए उद्योग विभाग, राजस्थान ड्रग्स कंट्रोल और अन्य संबंधित विभागों के विशेषज्ञों की एक टास्क फोर्स भी बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही प्राइवेट सेक्टर में इस कंपनी का संचालन सौंपा जाए।
सूत्रों के मुताबिक इस कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए रीको अपनी 45 प्रतिशत हिस्सेदारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित करेगा। इसके बाद इस कंपनी पर पूरा स्वामित्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का होने के कारण यह पूरी तरह राजकीय सार्वजनिक उपक्रम बन जाएगा।
बता दें कि साल 1981 में शुरू हुई यह कंपनी साल 2014 तक मुनाफा कमाती रही। लेकिन, 28 दिसंबर, 2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने इसे बंद करने का फैसला कर लिया। कंपनी की चल-अचल संपत्तियों को बेचकर देनदारियां चुकाने का फैसला किया गया। उस समय 126 अधिकारी-कर्मचारियों में से 101 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई। जबकि 25 कर्मचारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया था। इस तरह वर्ष 2016 में उत्पादन बंद होने के बाद विश्वकर्मा स्थित यह सरकारी दवा कंपनी कभी चालू नहीं हुई। साल 2011 तक इस कंपनी में 455 अधिकारी और कर्मचारी थे।
बड़ी दवा कंपनियों को सौंपने की तैयारीः
इस कंपनी के पूरी तरह राजकीय सार्वजनिक उपक्रम बनने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग RFP और EOI के माध्यम से प्रतिष्ठित बड़ी दवा कंपनियों को आमंत्रित करेगा। किसी प्रतिष्ठित बड़ी कंपनी का चयन करने के बाद PPP मोड पर इस कंपनी का संचालन प्राइवेट सेक्टर की कंपनी को सौंप दिया जाएगा।
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