किसानों को अलग कर आंदोलन को खत्म करना चाहता हैै केंद्र : कुमारी सैलजा

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   किसानों को अलग कर आंदोलन को खत्म करना चाहता हैै केंद्र : कुमारी सैलजा

चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों के संकट को दूर करने की जगह उनके साथ धोखा किया जा रहा है। केंद्र पंजाब सरकार के साथ मिलकर किसानों को अलग कर जबरन उनके आंदोलन को खत्म करना चाहती है। आम आदमी पार्टी कल तक किसान आंदोलन की हिमायती बनी हुई थी और अब पंजाब में किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए बड़ी कार्रवई करते हुए तमाम बड़े किसान नेताओं को पकड़ लिया गया। कांग्रेस पंजाब सरकार की इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करती हैं। साथ ही कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही से मंडी में किसान परेशान हैं। सरसों की सरकारी खरीद में देरी से किसान मजबूरी में अपनी फसल बिचौलियों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पहले केंद्र सरकार ही किसानों के साथ धोखा करती आ रही थी अब तो पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है, एक ओर तो केंद्र सरकार उनसे बातचीत करती है और उनको अगली बातचीत के लिए 04 मई का न्यौता तक देती है पर जैसे ही वो बैठक से बाहर निकलते हैं तो पंजाब पुलिस के द्वारा उनको हिरासत में ले लिया जाता है। किसानों के संकट को दूर करने की जगह उनके साथ धोखा किया जा रहा है और जबरन उनके आंदोलन को खत्म कराया जा रहा है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि दिल्ली में ही पंजाब में किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए बड़ी साजिश की गई, इसी के तहत पंजाब पुलिस द्वारा किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर की जबरन हिरासत निंदनीय है। यह साबित करता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार में शांतिपूर्ण विरोध के लिए कोई जगह नहीं। सरकार किसानों की आवाज दबा रही है, लेकिन देश किसानों के साथ खड़ा है। देश के 62 करोड़ किसान इस षड्यंत्रकारी विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेंगे ।

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सांसद ने कहा कि सरकार के वादों के बावजूद, मंडियों में खरीद सुचारू रूप से नहीं हो रही। भाजपा ने किसानों के हक को नजरअंदाज कर दिया है और उनका शोषण जारी है। प्रदेश सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही से किसान परेशान हैं। सरसों की सरकारी खरीद में देरी से किसान मजबूरी में अपनी फसल बिचौलियों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। सरकारी खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय था, लेकिन किसान 5,200-5,250 रुपये तक में बेच रहे हैं। मंडी में अभी तक बारदाने का प्रबंध तक नहीं है और किसानों सरसों लेकर मंडी में पहुंच चुका है। खरीद की कोई व्यवस्था न होने पर किसान परेशान है। परेशान किसान औने पौने दाम पर सरसों बेचने को मजबूर है।

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