पंजाब के सीएम भगवंत मान किसकी शह पर ले रहे हैं इतने बड़े फैसले?

गौरव कुमार चंडीगढ़:
कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन लंबे समय से चल रहा था और इससे दिल्ली-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई प्रमुख सड़कें बाधित हो रही थीं. इस स्थिति से न केवल यात्रियों को परेशानी हो रही थी, बल्कि राज्य को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा था. उद्योगों के बंद होने और व्यापार पर असर की बातें भी सामने आई थीं. पर इसके बाद भी आंदोलनरत किसानों से बॉर्डर खाली कराना इतना आसान नहीं था.
चार दिन के अंतराल में पंजाब के भीतर तीन बड़े एक्शन होते हैं. पहले खबर आती है कि आतंकवाद के आरोपों में असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद अमृतपाल सिंह और उसके 7 सहयोगी पंजाब वापस आएंगे. पता चला कि भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार ने अमृतपाल सिंह के ऊपर से NSA हटाने का फैसला किया है. इसी बीच पता चलता है कि ड्रग्स तस्करों की आरोपियों के घर पंजाब सरकार ने बुलडोजर चलवा दिया है. हालांकि, इस मुद्दे पर आप के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह विरोध जताते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी का नेतृत्व भगवंत मान के पीछे खड़ा रहता है. लेकिन, असली एक्शन तो 19 मार्च 2025 की रात को होता है, और पंजाब सरकार राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में आ जाती है. भगवंत मान सरकार एक साल से अधिक समय से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को हटा देती है. जिन किसानों से टकराने की कोशिश केंद्र सरकार नहीं कर सकी, वह पंजाब की भगवंत मान सरकार ने कर दिखाया. आनन फानन में शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाने के लिए बल प्रयोग किया. बताया जा रहा है कि इस कार्रवाई में लगभग 5,000 पुलिसकर्मियों और बुलडोज़रों का इस्तेमाल किया गया. यह कदम उस समय उठाया गया जब किसान नेता केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के लिए चंडीगढ़ गए थे और कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया था. जाहिर है कि पांच दिन के अंतराल में लिए गए इतने बड़े फैसलों से आपके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे.
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