हजारों किलोमीटर का सफर तय कर जैसलमेर पहुंची सात समंदर पार से आने वाली कुरजां

By Desk
On
  हजारों किलोमीटर का सफर तय कर जैसलमेर पहुंची सात समंदर पार से आने वाली कुरजां

जैसलमेर । जैसलमेर में बारिश के बाद प्रवासी पक्षी कुरजा के एक झुंड ने देगराय ओरण तालाब पर डेरा डाला है। करीब 300 कुरजा पक्षियों के झुंड के आने से पर्यावरण प्रेमी खुश हैं। पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह सांवता का कहना है कि अब प्रवासी पक्षियों का आना लगातार जारी रहेगा। ठंडे देशों में इन दिनों तेज ठंड पड़ना शुरू होने से ये पक्षी गरम देशों की तरफ पलायन करते हैं। भारत इनके लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। ऐसे में जिले के कई तालाबों पर ये छह महीने तक अपना डेरा डालते हैं। इसके बाद मार्च तक ये वापस अपने देश लौट जाते हैं।

गौरतलब है कि सर्दियों के मौसम में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पश्चिमी राजस्थान में डेरा डालने वाली कुरजां इन दिनों जैसलमेर के देगराय ओरण तालाब की रौनक बढ़ा रही है। जिले के बड़े तालाबों वाले एरिया में इन पक्षियों का कलरव सुना जा सकता है। जैसे-जैसे तापमान में कमी आएगी वैसे इन पक्षियों का आना लगातार जारी रहेगा।

Read More  डिप्रेशन कमजोर होने से राजस्थान में बारिश की गतिविधियां धीमी पड़ी

हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हैं पक्षी

Read More  धौलपुर में क्षतिग्रस्त सडकों एवं जलभराव से हो रही परेशानी

चीन, कजाकिस्तान, मंगोलिया आदि देशों में सितंबर के महीने में ही बर्फबारी शुरू हो जाती है, ऐसे में कुरजां पक्षी के लिए सर्दियों का वो मौसम उनके अनुकूल नहीं होता। कड़ाके की ठंड में खुद को बचाए रखने की जद्दोजहद में हजारों किलोमीटर का सफर तय करके ये कुरजां पश्चिमी राजस्थान का रुख करते हैं। सुमेर सिंह ने बताया कि भारत में खासकर पश्चिमी राजस्थान जैसे गरम इलाके में सितंबर और अक्टूबर से फरवरी तक शीतलहर चलती है। इस लिहाज से इस पक्षी के लिए ये मौसम काफी अनुकूल रहता है। इस दौरान करीब 5 से 6 महीने के लिए कुरजां पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग जगहों पर अपना डेरा डालती है।

Read More We should be proud of our hindi language/हमें हमारी हिन्दी भाषा पर गर्व होना चाहिए-दिया कुमारी

जैसलमेर में हर साल आती है हजारों पक्षी

जैसलमेर जिले के लाठी, खेतोलाई, डेलासर, धोलिया, लोहटा, चाचा, देगराय ओरण सहित अन्य जगहों पर कुरजां पक्षी अपना डेरा डालती है। दक्षिण पूर्वी यूरोप एवं अफ्रीकी भू-भाग में डेमोसाइल क्रेन के नाम से विख्यात कुरजां पक्षी अपने शीतकालीन प्रवास के लिए हर साल हजारों मीलों उड़ान भरकर भारी तादाद में क्षेत्र के देगराय ओरण और लाठी इलाके के तालाबों तक आते हैं। मेहमान परिंदों का आगमन सितंबर महीने के पहले हफ्ते से शुरू हो जाता है और करीब 6 महीने तक प्रवास के बाद मार्च में वापसी की उड़ान भर जाते हैं।

एकांत में रहने वाला शर्मिला पक्षी

सुमेर सिंह बताते हैं कि एकांत प्रिय मिजाज का यह पक्षी अपने मूल स्थानों पर इंसानी आबादी से काफी दूर रहता है लेकिन जहां डेरा डालते हैं वहां इंसानी दखल को नापसंद नहीं करते हैं। ग्रामीण भी कुरजा को अपना मेहमान समझकर उनकी पूरी देखभाल एवं सुरक्षा करते हैं। इस साल अच्छी बारिश के बाद मौसम अनुकूल होने से कुरंजा पक्षी हिमालय की ऊंचाइयों को पार कर भारत में आए हैं। कुरंजा पक्षी, करीब 26 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं और 'वी' की आकृति में उड़ान भरते हैं। ये पक्षी मोतिया घास, पानी के किनारे पैदा होने वाले कीड़े-मकोड़े और मतीरे को खाते हैं। 
 

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Latest News

17 से 19 सितंबर तक चलने वाले जनसंपर्क अभियान के तहत सभी 200 विधानसभाओं में भाजपा के वरिष्ठ नेता करेंगे प्रवासः- डॉ अरूण चतुर्वेदी 17 से 19 सितंबर तक चलने वाले जनसंपर्क अभियान के तहत सभी 200 विधानसभाओं में भाजपा के वरिष्ठ नेता करेंगे प्रवासः- डॉ अरूण चतुर्वेदी
सीएम भजनलाल शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड सहित प्रदेश पदाधिकारी एवं जिला पदाधिकारी बूथ स्तर पर करेंगे जनसंपर्कः- डॉ...
उप मुख्यमंत्री ने किया महाराव उम्मेद सिंह के शिक्षा, चिकित्सा और विकास में योगदान का स्मरण
पीएम मोदी ने मेट्रो ट्रेन के दूसरे फेज का उद्धाटन किया
अमृत भारत स्टेशन योजना: तीव्र गति से चल रहा है हनुमानगढ़ स्टेशन के पुनर्विकास का कार्य
राहुल गांधी के डीएनए में ही आरक्षण विरोधी नीतियां है :सम्राट चौधरी
नौसेना कमांडर 17 से 20 सितंबर तक नई दिल्ली में समुद्री चुनौतियों की समीक्षा करेंगे
प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु में तूतीकोरिन अंतरराष्ट्रीय कंटेनर टर्मिनल का किया उद्घाटन