जल संसाधन प्रबंधन की प्राचीन पद्धतियां आज भी प्रासंगिक : राष्ट्रपति

By Desk
On
  जल संसाधन प्रबंधन की प्राचीन पद्धतियां आज भी प्रासंगिक : राष्ट्रपति

नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जल संसाधन प्रबंधन की प्राचीन पद्धतियों को आज भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि प्राचीन जल प्रबंधन प्रणालियों पर शोध होना चाहिए और आधुनिक संदर्भ में उनका व्यावहारिक उपयोग करना चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मू मंगलवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में 8वें भारत जल सप्ताह के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि जल संकट से जूझ रहे लोगों की संख्या को कम करने का लक्ष्य पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सतत विकास लक्ष्यों के तहत जल और स्वच्छता प्रबंधन में सुधार के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी के समर्थन काे और मजबूत करने पर जोर दिया गया है।

Read More  कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामले में सीबीआई जांच की प्रगति से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट

राष्ट्रपति ने कहा कि सभी को जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था प्राचीन काल से ही हमारे देश की प्राथमिकता रही है। लद्दाख से लेकर केरल तक हमारे देश में जल संचय और प्रबंधन की प्रभावी पद्धतियां मौजूद थीं। ब्रिटिश शासन के दौरान ऐसी पद्धतियां धीरे-धीरे लुप्त हो गईं। हमारी पद्धतियां प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित थीं। प्रकृति पर नियंत्रण करने की सोच के आधार पर विकसित पद्धतियों के बारे में पूरे विश्व में अब पुनर्विचार किया जा रहा है। जल संसाधन प्रबंधन के विभिन्न प्रकार के कई प्राचीन उदाहरण पूरे देश में उपलब्ध हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। हमारी प्राचीन जल प्रबंधन प्रणालियों पर शोध होना चाहिए और आधुनिक संदर्भ में उनका व्यावहारिक उपयोग होना चाहिए।

Read More  जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव इस बार तीन खानदानों और युवाओं के बीच : प्रधानमंत्री मोदी

राष्ट्रपति ने कहा कि सरोवर, कुएं, तालाब, जल-कुंड और पोखरी जैसे सभी जलस्रोत सदियों से हमारे समाज के लिए जल बैंक की तरह रहे हैं। हम बैंक में पैसा जमा करते हैं, उसके बाद ही बैंक से पैसा निकालकर उसका उपयोग कर सकते हैं। यही बात पानी पर भी लागू होती है। लोग पहले जल-संचय करेंगे, तभी वे जल का उपयोग कर पाएंगे। धन का दुरुपयोग करने वाले लोग संपन्नता से निर्धनता की स्थिति में चले जाते हैं। उसी तरह, वर्षा वाले क्षेत्रों में भी पानी की कमी देखी जाती है। सीमित आय का समझदारी से उपयोग करने वाले लोग अपने जीवन में आर्थिक संकट से बचे रहते हैं। उसी तरह, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल का संचय करने वाले गांव जल संकट से बचे रहते हैं। राजस्थान और गुजरात के कई इलाकों में ग्रामीणों ने अपने प्रयासों और जल संचय के प्रभावी तरीकों को अपनाकर जल के अभाव से मुक्ति पाई है।

Read More  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज झारखंड दौरे पर, कई परियोजनाओं का करेंगे उद्घाटन

राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध कुल पानी का मात्र 2.5 प्रतिशत ही मीठा पानी होता है। उसमें से भी मात्र एक प्रतिशत ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध हो पाता है। विश्व के जल संसाधनों में भारत की हिस्सेदारी चार प्रतिशत है। हमारे देश में उपलब्ध जल का लगभग 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। कृषि के अलावा बिजली उत्पादन, उद्योग और घरेलू जरूरतों के लिए पानी की उपलब्धता आवश्यक है। जल संसाधन सीमित हैं। जल के कुशल उपयोग से ही सभी को जल की आपूर्ति संभव है।

राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में ‘कैच द रेन-व्हेयर इट फॉल्स व्हेन इट फॉल्स’ के संदेश के साथ एक अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और जल प्रबंधन के अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है। वन संपदा को बढ़ाना भी जल प्रबंधन में सहायक होता है। जल संचय और प्रबंधन में बच्चों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे अपने परिवार और आस-पड़ोस को जागरूक कर सकते हैं और खुद भी जल का सही उपयोग कर सकते हैं। जल शक्ति के प्रयासों को जन आंदोलन का रूप देना होगा, सभी नागरिकों को जल-योद्धा की भूमिका निभानी होगी।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Latest News

उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने पेरिस पैरा ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक विजेता मोना अग्रवाल को दी बधाई ! उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने पेरिस पैरा ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक विजेता मोना अग्रवाल को दी बधाई !
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने झोटवाड़ा, जयपुर में एकलव्य स्पोर्ट्स शूटिंग एकेडमी द्वारा आयोजित 'सम्मान समारोह' में उपस्थित होकर पेरिस पैरा...
नई पर्यटन इकाई नीति जल्दी होगी लागू : दिया कुमारी
प्रदेश में खेलों का वातावरण तैयार किया जायेगा: डा. नीरज के. पवन
भाजपा की नकारात्मक सोच का जवाब दें, कांग्रेस के पक्ष में करें मतदान : -पायलट
संस्कृत शिक्षा विभाग के प्राध्यापक पदों की प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों को संशोधन का मौका
जल भराव और सड़कों पर गड्डों का मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
आर्मी कमांडर सप्त शक्ति कमांड ने किया बीकानेर सैन्य स्टेशन और महाजन फील्ड फायरिंग रेंज का दौरा