रॉयल इनफील्ड ने की कोर्ट अवमानना-सुप्रिया ख्यालिया
कंपनी द्वारा अन्य फ़र्म को दी डीलरशिप।
कोर्ट ने दिया था ओर्बिट्रेटर नियुक्त करने का आदेश
जयपुर पिंक सिटी प्रेस क्लब में उदय मोटर, कोहला हनुमानगढ़ (राजस्थान) द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर उदय मोटर के प्रोप्राइटर स्वर्गीय कपिल ख्यालिया की धर्मपत्नी सुप्रिया ख्यालिया ने बताया की वर्ष 2012 से कोहला, हनुमानगढ़ में रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल की डीलरशिप उनके पति द्वारा चलायी जा रही थी, दुर्भाग्य से 12 दिसम्बर 2023 को उनके पति का आकस्मिक निधन हो गया, इस दुःख की घडी में रॉयल एनफील्ड की तरफ से उनको तथा उनके परिवार को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया गया था, लेकिन 19 मार्च 2024 तक भी उनके पास कंपनी द्वारा कार्य करने में कागजी बाधा बताते हुए टालमटोल चलती रही, और इसी बीच इनफील्ड कंपनी द्वारा उनके डीलरशिप को बिना किसी कारण बताये टर्मिनेट करने का आदेश जारी कर दिया गया।
इसके बाद उन्होंने कंपनी के जयपुर और गुरुग्राम स्थित ऑफिस में संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन वहाँ पर उनके सम्मान को ठेष पहुंचाई गयी।
प्रेस वार्ता में श्रीमती सुप्रिया ख्यालिया ने आगे बताया की राजस्थान से सम्बंधित कंपनी के अधिकारियो द्वारा हनुमानगढ़ में अन्य किसी व्यक्ति को कंपनी की डीलरशिप देने के लिए सांठगांठ की गयी है, उनको ऐसा लगता है कि कंपनी के चेन्नई स्थित केंद्रीय कार्यालय को इस पुरे प्रकरण की जानकारी ना होने के कारण रीजनल ऑफिस के द्वारा कार्य में कोताही के चलते माननीय न्यायालय द्वारा यह संज्ञान लिया गया की इस प्रकरण पर आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की जाए ताकि दोनों पक्षों को बैठा कर इस प्रकरण का सकारात्मक निस्तारण किया जा सके। किन्तु रीजनल अधिकारियो द्वारा आज दिनांक तक ना तो मुझ से किसी प्रकार का कोई संपर्क किया गया, ना ही न्यायलय को इस सन्दर्भ में प्रगति रिपोर्ट इनके द्वारा दी गयी, इस से ऐसा लगता है कि रॉयल इनफील्ड के रीजनल अधिकारियो द्वारा किसी व्यक्ति विशेष के प्रभाव में दूसरी डीलरशिप किसी फर्म को जारी कर दी गयी है, तभी उक्त फर्म के द्वारा हनुमानगढ़ शहर के प्रमुख चौराहो पर नए डीलरशिप के होर्डिंग लगा दिए गए, तब हमे आश्चर्य हुआ की रॉयल इनफील्ड जैसी प्रमुख दुपहिया उत्पादक कंपनी द्वारा कोर्ट के आदेशों की सरासर अवमानना की जा रही है ।
यदि ऐसा होता है तो उनका परिवार सड़क पर आ जाएगा, क्यूंकि इस डीलरशिप को चलाने के लिए 5 से 7 करोड़ की लागत लगी हुई है, जो शून्य हो जायेगी। पति के आकस्मिक निधन के बाद आजीविका का चले जाना तथा निवेश का शून्य हो जाना अस्वीकार्य है, और इसके लिए वो कड़ा संघर्ष करेगी, यदि कंपनी के उच्च अधिकारियो द्वारा उसकी सुनवाई करते हुए उसके सम्मान की रक्षा की जाती है तो वो कंपनी के साथ कंधे से कन्धा मिला कर हनुमानगढ़ जिले में काम करने को आज भी तैयार है, इसके अलावा उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।
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