गेहूं की बुवाई के समय उचित तापमान और उर्वरक का अहम रोल: कृषि वैज्ञानिक

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   गेहूं की बुवाई के समय उचित तापमान और उर्वरक का अहम रोल: कृषि वैज्ञानिक

कानपुर । गेहूं की बुवाई के समय उचित तापमान और फसल उगाने के लिए उर्वरक का सबसे महत्वपूर्ण रोल होता है। बुवाई के समय बेसल डोज के तौर पर उर्वरकों भी प्रयोग करना चाहिए। यह जानकारी सोमवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।

उन्होंने बताया कि उर्वरक का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराना चाहिए, जिससे पता चल सके की मिट्टी में कौन से पोषक तत्व मौजूद है और किन पोषक तत्वों की कमी है। ​​इस पर ध्यान करते हुए बुआई के समय उन्ही पोषक तत्वों को खेत में प्रयोग ​करें। नवंबर के पहले सप्ताह से लेकर 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई के लिए समय बेहद ही उपयुक्त माना गया है।

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मौसम विशेषज्ञ श्री पांडेय ने बताया कि गेहूं की बुआई के समय उचित तापमान और फसल उगाने के लिए उर्वरक का महत्वपूर्ण रोल होता है। उर्वरक पौधों के लिए भोजन की तरह होते हैं। ये मिट्टी में उन पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं जो पौधों को स्वस्थ रहने और बढ़ने के लिए आवश्यक होते हैं। गेहूं की फसल की बुवाई करने से पहले जरूरी है की मिट्टी की जांच कर लें। मिट्टी की जांच करने से पता चल जाता है कि आपकी मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और कितनी मात्रा में कौन से पोषक तत्व उपलब्ध हैं। लेकिन अगर किन्हीं कारणों से मिट्टी की जांच नहीं कर पाते तो एक्सपर्ट द्वारा बताई हुई संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं।

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गोबर की सड़ी खाद सबसे अहम खुराक

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गेहूं की फसल की बुवाई करने से पहले खेत की अंतिम जुताई के वक्त 100 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति एकड़ के हिसाब से डाल सकते हैं। गोबर की सड़ी हुई खाद में पोषक तत्व पाए जाते हैं। 20 से 25 प्रतिशत ऑर्गेनिक कार्बन भी पाया जाता।

जाने किस मात्रा में करना चाहिए उर्वरक का प्रयोग

मौसम विशेषज्ञ ने बताया कि यदि किसान मिट्टी की जांच नहीं कर पाए हैं तो संतुलित मात्रा यानि 60 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़, 25 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश के साथ-साथ सल्फर और जिंक 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग कर सकते हैं। ध्यान रखें की फास्फोरस, पोटाश, सल्फर और जिंक की पूरी मात्रा बुवाई के समय बेसल डोज के तौर पर दें सकते हैं। जबकि नाइट्रोजन की मात्रा को दो बार प्रयोग करना चाहिए, नाइट्रोजन का प्रयोग पहली सिंचाई और दूसरी सिंचाई के दौरान 50-50 प्रतिशत करना चाहिए।

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