राजस्थान हाईकोर्ट : नीतिगत फैसले लेने से रोकने वाली रिट याचिका खारिज
जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को मोहम्मद अली चुन्दडीगर, अतीक गौरी निसार खिलजी और अताउर्र्मान की उस रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि मारवाड़ मुस्लिम एज्युकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के नियुक्त रिसीवर प्रोफेसर शकील परवेज नीतिगत फैसले ले रहे हैं, उन्हें रोका जाये।
रिसीवर ने माई खदीजा नर्सिंग कॉलेज में पंद्रह वर्षों से कार्यरत प्रिंसिपल जितेंद्र खत्री को हटा दिया है और मौलाना अबूल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रर आमीन को गबन के कथित आरोप में मुकदमा दर्ज करवा कारण बताओ नोटिस दिया है। याचिका में मांग की गई कि रिसीवर रोजमर्रा के काम करे ना कि नीतिगत फैसले ले। रिट याचिका में यह भी प्रार्थना की गई कि सोसाइटी के सरपरस्त चुनाव की आम सूचना जारी कर रहे हैं, वोटर लिस्ट में नाम घटा-बढ़ा रहे हैं जबकि उन्हें यह अधिकार नहीं है। सरपरस्तों की निगरानी में रिसीवर गलत कार्य कर रहे हैं।
हाईकोर्ट की न्यायाधीश रेखा बोराणा की एकल खंडपीठ में सोमवार को पूर्व में 20 मार्च 2024 को निस्तारित याचिका में ही एक याचिका पेश कर कहा गया कि मारवाड़ मुस्लिम एज्युकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी में नियुक्त रिसीवर प्रोफेसर शकील परवेज नीतिगत फैसले ले रहे है और ऐसा करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।
याचिका में कहा गया कि पहले 2 अप्रेल को सरकार के प्रशासनिक अधिकारी प्रियंका विश्नोई और फिर 19 अप्रेल को महावीर सिंह को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया था। वे भी अब तक सोसायटी के चुनाव नहीं करवा सके हैं बल्कि 15 मई को सरपरास्तों ने आम सूचना प्रकाशित करवाई और आपत्तियों पर सुनवाई करने लगे हैं। वोटर लिस्ट जारी कर रहे है, उन्हें भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
न्यायाधीश रेखा बोराणा ने मोहम्मद अली चुन्दडीगर, मोहम्मद अतीक गौरी, निसार खिलजी और अताउर्र्मान की इस रिट याचिका पर कहा कि वे किस प्रावधान के तहत हाईकोर्ट आये हैं, यह अदालत मूल रिट का निस्तारण कर चुकी है। किसी और बात का विस्तार से क्लीयरिफेशन नहीं दिया जा सकता। याचि को जिस किसी बात पर आपत्ति है, तो वह संबंधित के पास जाये जहां से रेमेडि मांगी जाये। न्यायाधीश बोराणा ने रिट याचिका खारिज कर दी।
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