संसद के शीतकालीन सत्र में तृणमूल मणिपुर हिंसा और आर्थिक मुद्दों को उठाएगी

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 संसद के शीतकालीन सत्र में तृणमूल मणिपुर हिंसा और आर्थिक मुद्दों को उठाएगी

कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र में मणिपुर में जारी हिंसा पर केंद्र सरकार से विस्तृत चर्चा और त्वरित हस्तक्षेप की मांग करने का निर्णय लिया है। पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि वह चर्चा के माध्यम से समाधान चाहती है और सदन में बाधा उत्पन्न करने के पक्ष में नहीं है।

तृणमूल के एक नेता ने मंगलवार को बताया कि सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी सांसद पूर्वोत्तर भारत में शांति और स्थिरता बहाल करने की आवश्यकता पर जोर देंगे।

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उन्होंने कहा कि हम मणिपुर में जारी हिंसा पर सरकार से जवाब मांगेंगे। हम बहस चाहते हैं और केंद्र के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। लेकिन हम बाधा डालने के बजाय चर्चा के पक्षधर हैं।

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मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हाल ही में 11 नवंबर को जिरीबाम जिले में एक मुठभेड़ के बाद छह लोग लापता हो गए थे, जिनमें तीन महिलाएं और तीन बच्चे शामिल थे। बाद में इन सभी के शव मिले।

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आर्थिक मुद्दे भी होंगे प्रमुख

तृणमूल ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद में मणिपुर हिंसा के साथ-साथ आर्थिक मुद्दे भी उनकी प्राथमिकता में रहेंगे। पार्टी बढ़ती महंगाई, खाद की कीमतों में वृद्धि और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों के लिए पीएम आवास योजना और मनरेगा की निधि रोकने जैसे मुद्दों को उठाएगी।

उन्होंने ने कहा कि आदानी मामले पर भी सवाल उठाना जरूरी है, लेकिन केवल इस मुद्दे पर सदन को बाधित करना उचित नहीं है। इससे भाजपा को अन्य ज्वलंत मुद्दों जैसे मणिपुर हिंसा और राज्यों के लिए रोकी गई निधियों पर जवाब देने से बचने का मौका मिलेगा।

 महिला सुरक्षा और 'अपराजिता बिल' पर जोर

महिला सुरक्षा को लेकर भी तृणमूल ने कड़ा रुख अपनाया है। पार्टी ने 'अपराजिता महिला और बाल विधेयक' को जल्द लागू करने की मांग की है, जिसे सितंबर में पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था।

राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर 30 नवंबर को पूरे राज्य में तृणमूल की महिला शाखा मार्च निकालेगी और एक दिसंबर को धरने का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा, 10 दिसंबर के बाद पांच महिला विधायकों और दस महिला सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर इस कानून को लागू करने की मांग करेगा।

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