कड़ाके की ठंड भी नहीं राेक सकी आस्थावानाें के कदम
हरिद्वार । सोमवती अमावस्या पर्व काे लेकर हरिद्वार में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। देर रात से ही हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़
उमड़नी शुरू हाे गयी थी। देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं की भीड़ भाेर से ही हर की पैड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटाें पर गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित करना शुरू दिया
था। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर मंदिरों में दर्शन-पूजन किया और दान आदि कर्म कर पुण्य लाभ अर्जित किया। साथ ही बड़ी संख्था में श्रद्धालुओं ने नारायणीशिला व कुशावर्त घाट पर अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण व पिण्डदान कर उनके मोक्ष की कामना की। अमावस्या पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर गंगा में स्नान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही नहीं सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर पितरों के निमित्त पूजा करने से जीवन में सुख और शांति आती है। भीषण ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगायी। सोमवती अमावस्या पर भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। मेला क्षेत्र को 14 जोन और 39 सेक्टरों में बांट कर अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को तैनात किया। इसके साथ ही यातायात प्लान भी लागू किया गया।
इस बाबत नारायणीशिला के पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि वैसे तो सभी अमावस्या पर गंगा स्नान का महत्व है। मगर सोमयुता अर्थात सोमवती अथवा भोमयुता अर्थात भौमवती अमावस्या विशेष पुण्यदायी होती है। इसके पुण्य का इसी बात से पता लगा सकते हैं कि इस सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में स्वयं भीष्म पितामह ने अपनी शरशैया पर पड़े रहते हुए इंतजार किया था। सोमवती अमावस्या के आने का सोमयुता अर्थात अक्षुण्य कर देने वाली अमावस्या आज के दिन है। मात्र जल स्नान करना व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान फल दे देता है।
बताया कि आज के दिन अपने पितरों के प्रति तर्पण, श्राद्ध आदि करना, पीपल के वृक्ष की पूजा करना श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के कल्पकल्पान्तर तक के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। आज के दिन किया गया दान भी अक्षय फलदायी होता है। समाचार लिखे जाने तक स्नान का सिलसिला जारी था।
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