बंगाल में जिद और जुनून का प्रतीक हैं ममता बनर्जी

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   बंगाल में जिद और जुनून का प्रतीक हैं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की सीएम रह चुकी हैं। उनका सियासी सफर कांग्रेस पार्टी के साथ शुरू हुआ था। वह पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। ममता बनर्जी ने राजनीति में वो कर दिखाया, जो इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया। उन्होंने 34 साल से बंगाल की सत्ता पर काबिज लेफ्ट को उन्होंने साल 2011 में उखाड़ फेंका और तब से अभी तक वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। सियासत से लेकर आम लोगों के लिए ममता बनर्जी 'दीदी' हैं। तो आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म

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कोलकाता में 05 जनवरी 1955 को एक गरीब परिवार में ममता बनर्जी का जन्म हुआ था। हालांकि तब भला किसको पता था कि गरीब परिवार में जन्मी यह बच्ची एक दिन इतिहास रचेगी। लेकिन इन सब के लिए ममता बनर्जी को काफी संघर्ष करना पड़ा और बहुत तकलीफें झेलनी पड़ीं। उनकी अब तक की यात्रा बिलकुल भी आसान नहीं थी।

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कम उम्र की सांसद बनीं

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कम उम्र में ही ममता बनर्जी की रुचि राजनीति में जागी तो वह कांग्रेस से जुड़ गईं। इस दौरान वह महिला कांग्रेस और फिर अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव बनीं। फिर साल 1975 में ममता को बंगाल में इंदिरा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। साल 1978 में वह कलकत्ता दक्षिण जिला कांग्रेस कमेटी की सचिव बनीं और साल 1984 में वह पहली बार कलकत्ता दक्षिण सीट से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंची। इस तरह से वह तब 8वीं लोकसभा में देश की सबसे कम उम्र की सांसद थीं।

साल 1991 में जब ममता दोबारा सांसद बनीं तो उनको केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया। यह वही समय था, जब ममता ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1996 में वह दोबारा लोकसभा पहुंची और साल 1997 में कांग्रेस और ममता की राहें जुदा हो गईं। ममता ने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बनाई, जो वर्तमान समय में बंगाल में सरकार चला रही है।

जानलेवा हमलों में घायल हुईं ममता

राजनीति में आने का ममता बनर्जी का एक ही लक्ष्य था। उन्होंने बंगाल की सत्ता पर कई दशकों से काबिज वाम दलों को उखाड़ फेंकना। इस संघर्ष के दौरान 16 अगस्त 1990 को ममता बनर्जी पर एक हमला हुआ। जिसके कारण उनको एक महीने तक अस्पताल में रहना पड़ा। वहीं 1993 में उन्होंने फोटो युक्त वोटर आईडी की मांग कर दी। जिसकी वजह से कलकत्ता में स्थित बंगाल सरकार के सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग की तरफ मोर्चा निकाल रही थीं। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प हुई और पुलिस ने गोलीबारी शुरूकर दी। तब ममता के साथ संघर्ष कर रहे 14 लोगों की जान चली गई और ममता खुद बुरी तरह से घायल हो गईं। लेकिन फौलादी इरादों वाली ममता बनर्जी ने फिर भी हार नहीं मानी।

देश की पहली महिला रेल मंत्री

देश के पीवी नरसिंहा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह जैसे पीएम के साथ ममता बनर्जी ने काम किया। बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस का गठबंधन होने पर वाजपेयी की सरकार में ममता रेल मंत्री बनीं। वह देश में रेल मंत्री बनने वाली पहली महिला सांसद थीं।

ऐसे सीएम बनीं ममता बनर्जी

साल 2005 में बंगाल में माकपा के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे। वह अपनी विकासवादी नीतियों के लिए जाने जाते थे। बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बंगाल में औद्योगिकरण का नया दौर शुरू किया था। जिसके लिए बंगाल में नंदीग्राम के पास सिंगूर में टाटा की लखटकिया कार नैनो के उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया था। तब ममता ने आरोप लगाया कि किसानों से जमीनें जबरन ली जा रही हैं और इसी के चलते उन्होंने आंदोलन शुरूकर दिया। यह आंदोलन इतना प्रभावशाली था कि टाटा को अपना कारखाना शिफ्ट करना पड़ा। इस तरह ममता बनर्जी की बंगाल की नई पहचान लोगों के सामने आई।

 

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