टाइमलाइन से नियम तक सब कुछ यहां पढ़ें...

देहरादून । उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी (समान नागरिक संहिता) पोर्टल और नियम को सोमवार को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में यूसीसी लागू करके हम संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
आपको टाइमलाइन के जरिए बताते हैं कि उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।
12 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा सत्ता में आने पर यूसीसी लागू करने की घोषणा की थी। 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में यूसीसी का प्रारूप तय करने के लिए कमेटी का गठन किया गया।
इसके बाद जस्टिस रंजना देसाई कमेटी ने 2 फरवरी 2024 को सरकार को यूसीसी का प्रारूप सौंपा। 6 फरवरी 2024 को यूसीसी विधेयक को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया। 7 फरवरी को विधेयक सदन से सर्वसम्मति के साथ पारित हुआ और 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के यूसीसी विधेयक पर मुहर लगाई।
18 अक्टूबर 2024 को यूसीसी नियमावली और क्रियान्वयन समिति ने सरकार को यूसीसी नियमावली का ड्राफ्ट सौंपा था। 20 जनवरी 2025 को उत्तराखंड कैबिनेट ने नियमावली को मंजूरी दी थी। 27 जनवरी 2025 को यूसीसी उत्तराखंड में लागू किया गया।
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के लिए काफी बातों पर विचार-विमर्श किया। यूसीसी में अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई। इसके अनुसार, यूसीसी उत्तराखंड और उससे बाहर रहने वाले राज्यों के निवासियों पर लागू होगा। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है।
इसके साथ ही यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे, जबकि नगर पंचायत-नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे। साथ ही छावनी क्षेत्र में संबंधित सीईओ रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। इनके ऊपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी तथा इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।
यूसीसी नियमों के मुताबिक, अगर रजिस्ट्रार द्वारा तय समय में कार्रवाई नहीं की जाती है तो यह मामला रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा। यही नहीं, रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के अंदर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे।
इसमें विवाह पंजीकरण को लेकर भी नियम बनाया गया है। 26 मार्च 2010, से यूसीसी लागू होने की तारीख के बीच हुए विवाह का रजिस्ट्रेशन अगले छह महीने में करवाना होगा। साथ ही यूसीसी के लागू होने के बाद विवाह का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा।
उत्तराखंड सरकार के मुताबिक, आवेदकों को भी कई अधिकार दिए गए हैं- जैसे सब रजिस्ट्रार-रजिस्ट्रार अगर समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो उनके खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसके अलावा सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है। यह सभी अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।
लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी सख्त नियम हैं। इसके मुताबिक, यूसीसी लागू होने के पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का संहिता लागू होने की तारीख से एक महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जबकि, यूसीसी लागू होने के बाद से लिव इन में रह रहे लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई एक महीने के अंदर करनी होगी। हालांकि, लिव इन समाप्ति के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से आवेदन किया जा सकता है। साथ ही अगर लिव इन के दौरान कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो इस बारे में रजिस्ट्रार को बताना होगा।
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