गोविंददेवजी मन्दिर में कृष्ण जन्माष्टमी 7 सितम्बर 2023 को.
कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव 23 अगस्त से 6 सितम्बर तक
8 सितम्बर को नंदोत्सव व शोभायात्रा
जयपुर के आराध्य देव माने जाने वाले गोविंददेवजी मन्दिर में भगवान 'कृष्ण' का जन्मदिन कृष्ण जन्माष्टमी की धूम 23 अगस्त से शुरू होगी।* जन्माष्टमी मनाने के लिए मन्दिर परिसर में तैयारियां शुरू हो गई है।
गोविंद मन्दिर के मुख्य समारोह के अलावा शहर के गोपीनाथ मन्दिर,राधा दामोदर मन्दिर,प्राचीन मदन गोपाल जी मन्दिर,सरस निकुंज सहित इस्कॉन मंदिर,कृष्ण बलराम मन्दिर,जगतपुरा, स्वामी नारायण मंदिर,चित्रकूट सहित अनेक छोटे बड़े मन्दिरों में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम रहेगी।
इस दौरान जयपुर के विभिन्न मंदिरों में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव की झांकियां आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर में 23 अगस्त से 6 सितम्बर तक सजेंगी।
इस दौरान बंगाली कीर्तन मंडल की ओर से सुबह अष्टप्रहर हरिनाम कीर्तन होगा। 24 अगस्त को गिर्राज परिक्रमा मंडल की ओर से शाम को हरिनाम कीर्तन होगा।
ये भजन कीर्तन कार्यक्रम 31 अगस्त तक नियमित सुबह शाम होंगे। 1 सितम्बर से 4 सितम्बर तक नियमित शाम को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 5 से 6 सितम्बर को सुबह शाम भजन कीर्तन होंगे।
7 सितम्बर को मध्य रात्रि जन्माष्टमी पर्व पर रात 12 बजे गोविंददेवजी का अभिषेक होगा।
इससे पूर्व सुबह मंगला झांकी के बाद गोविंददेवजी का पंचामृत से अभिषेक होगा। ठाकुर जी को नवीन पीत वस्त्र धारण कराए जाएंगे। रात 10 बजे से जन्माष्टमी व्रत कथा होगी। मध्य रात्रि 12 बजे ठाकुर जी का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। 8 सितम्बर को सुबह श्रृंगार आरती के बाद नंदोत्सव मनाया जाएगा। शाम 4.30 बजे से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।
गोविंद कैसे बने जयपुर के आराध्य
गोविंद देव जी जयपुर मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
जयपुर के महाराजा गोविन्ददेव जी को राजा और स्वयं को उनका दीवान मानते थे।
गोविन्ददेव जी की मुख्य मूर्ति चंद्रमहल में राजाओ के शयनकक्ष की खिड़की की ओर थी। उनके दिन की शुरुआत उनके प्रिय देवता के "दर्शन" (पवित्र दर्शन) से होती थी।
औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को वृन्दावन धाम से गुलाबी शहर जयपुर में स्थानांतरित किया गया और सिटी पैलेस के सूरज महल में प्रतिष्ठित किया गया।
चूंकि, औरंगजेब के समय धार्मिक कट्टरता चरम पर थी, इसलिए हिंदू धर्म के मंदिरों और मूर्तियों की रक्षा करना एक प्रमुख मुद्दा था।
उस समय, वृन्दावन धाम के गोविंद देव जी मंदिर के तत्कालीन कार्यवाहक ने भगवान श्री कृष्ण (गोविंद देव जी) की मूर्ति को जयपुर स्थानांतरित कर दिया।
वर्ष 1735 में, श्री भगवान कृष्ण की पवित्र मूर्ति को मंदिर के वर्तमान स्थान (सिटी पैलेस के सूरज महल) में प्रतिष्ठित किया गया।
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