आरजी कर कांड पर शोक प्रस्ताव में पीड़िता का जिक्र जोड़ने की भाजपा की मांग, विधानसभा परिसर में का मौन मार्च

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   आरजी कर कांड पर शोक प्रस्ताव में पीड़िता का जिक्र जोड़ने की भाजपा की मांग, विधानसभा परिसर में का मौन मार्च

कोलकाता । विधानसभा के विशेष सत्र के पहले ही दिन आर.जी. कर कांड ने सदन को गर्म कर दिया। भाजपा विधायकों ने शोक प्रस्ताव में आर.जी. कर कांड की पीड़िता का नाम शामिल करने की मांग की, लेकिन यह मांग नहीं मानी गई। इसके बाद, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और अन्य भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में मौन मार्च निकाला।

सोमवार को विधानसभा के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक प्रस्ताव लाया गया। इस शोक प्रस्ताव में केवल बुद्धदेव भट्टाचार्य का ही उल्लेख था और आर.जी. कर अस्पताल की पीड़िता का कोई जिक्र नहीं था। इस पर भाजपा विधायकों ने आपत्ति जताई। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शोक प्रस्ताव में बुद्धदेव के साथ-साथ आर.जी. कर की पीड़िता का भी उल्लेख करने की मांग की। लेकिन, विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने कहा कि कानूनी अड़चनों के कारण पीड़िता का नाम शामिल करना संभव नहीं है।

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इस मुद्दे पर तृणमूल और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस भी हुई। शुभेंदु अधिकारी जब स्पीकर से अपनी बात कहने के लिए खड़े हुए, तो पूर्वस्थली के विधायक तपन चटर्जी ने उन्हें बैठने के लिए कहा। सत्तारूढ़ और विपक्षी विधायकों के बीच की बहस से सत्र का पहला दिन गर्मा गया। अंत में, आर.जी. कर की पीड़िता का नाम या आर.जी. कर कांड का उल्लेख शोक प्रस्ताव में नहीं किया गया। स्पीकर ने केवल पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव के शोक प्रस्ताव को पढ़ा और इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही सोमवार के लिए स्थगित कर दी गई।

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भाजपा विधायकों ने इसके बाद भी सदन में अपनी सीटों पर बैठे रहे। शुभेंदु अधिकारी ने आर.जी. कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना का मुद्दा उठाया और सदन में एक मिनट का मौन रखा। इसके बाद, आर.जी. कर की घटना के विरोध में उन्होंने और अन्य भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में मौन मार्च निकाला।

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बाद में शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “मैंने नौ अगस्त को आर.जी. कर अस्पताल में मृतक डॉक्टर का उल्लेख करने के लिए कहा था, लेकिन स्पीकर ने इसे अस्वीकार कर दिया। हम बुद्धदेव को सम्मान करते हैं, इसलिए विरोध में कुछ नहीं कहा। बाद में हमने अपने तरीके से मृत बहन को सम्मान दिया।” उन्होंने आगे बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार पीड़िता का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, इसलिए बिना नाम का ही उल्लेख करने का अनुरोध किया गया था, जिसे स्पीकर ने अस्वीकार कर दिया।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार बलात्कार और महिला उत्पीड़न के खिलाफ एक विधेयक पेश करने जा रही है। यह ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल दंड विधान संशोधन) विधेयक, 2024’ मंगलवार को विधानसभा के दूसरे दिन पेश किया जाएगा। इसके पारित होने के बाद इसे कानून बनाने के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। सोमवार के मौन मार्च के बाद शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “मंगलवार को विधानसभा में केवल दो घंटे का समय आवंटित किया गया है। हमें 60 मिनट दिए गए हैं। मैं कम बोलूंगा, बाकी सभी महिला विधायक बोलेंगी। 

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