मैनुअल स्केवेंजिंग एक्ट दरकिनार कर सीवर सफ़ाई को उतारे तीन श्रमिकों की मौत !

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मैनुअल स्केवेंजिंग एक्ट दरकिनार कर सीवर सफ़ाई को उतारे तीन श्रमिकों की मौत !

क़ानूनन बिना जीवन रक्षक उपकरण सीवर में व्यक्ति का उतरना है मना

सीकर (फतेहपुर) राष्ट्रीय राजमार्ग बीकानेर-जयपुर पर मंगलवार शाम को सीवरेज के चैंबर सफाई के दौरान तीन मजदूरों की जहरीली गैस की चपेट में आने से मौत हो गई। एक मजदूर 20 फीट गहरे चैंबर की सफाई कर रहा था। इस दौरान जहरीली गैस से वह चैंबर के अंदर ही बेहोश हो गया, जिससे बाहर अन्य मजदूरों में हड़कंप मच गया। बेहोश मजदूर को बचाने दो मजदूर चैंबर में उतरे तो वे भी जहरीली गैस की चपेट में आ गए और चैंबर में ही बेहोश हो गए।IMG_1395

 

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स्थानीय लोगों ने कोतवाली पुलिस और 108 एम्बुलेंस को सूचना दी। तीनों मजदूरों को चैंबर से बाहर निकालकर राजकीय धानुका उपजिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत बता दिया। जान गंवाने वाले महेंद्र छोटेलाल (38), सजन कैलाश (30) व मुकेश नथु (35) हैं। तीनों घर में इकलौते कमाने वाले थे। आक्रोशित वाल्मीकि समाज ने अस्पताल के सामने सड़क जाम कर दी और जिम्मेदारों पर कार्रवाई के साथ आर्थिक सहयोग की मांग की है।
इस हादसे के विरोध में प्रदर्शन व आंदोलन का दौर शुरू हुआ, एडीएम रतन स्वामी के नेतृत्व में प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच तीन दौर की वार्ता के बाद मंगलवार रात करीब 12 बजे समझौता हुआ. एडीएम रतन स्वामी ने बताया कि प्रत्येक मृतक के परिजन को खाते में तुरंत 10-10 लाख की मुआवजा राशि जमा कराने के साथ ही आवश्यक कागजी कार्रवाई के बाद 20-20 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी. तीनों के परिजनों को 1-1 लाख रुपए दाह संस्कार के लिए भी दिए गए. नियमानुसार सरकारी सभी सुविधाओं का लाभ दिया जाएगा.सफाई कर्मचारियों के आगामी भर्ती में तीनों मृतकों के परिजनों सहित पूर्व में हुई दो घटनाओं के मृतकों के परिजनों को प्राथमिकता दी जाएगी. कंपनी की ओर से सभी कर्मचारियों को आवश्यक सुरक्षा उपकरण दिए जाएंगे. कंपनी मृतक कर्मियों के परिजनों को वेतन की आधी पेंशन भी देगी.

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सुप्रीम कोर्ट व सरकार की रोक के बाद भी राजस्थान के विभिन्न नगरीय निकायों में सफाई कर्मचारियों को सीवर चैंबर में उतारा जा रहा है. प्रदेश में बीते आठ सालों में सीवर लाइन की जहरीली गैस की चपेट में आने से 18 मजदूरों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन ने नियमों की पालना नहीं कर रहे हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाईकर्मी को सीवरेज सफाई के लिए चैंबर में नहीं उतारने के निर्देश दिए थे. साथ ही ये काम मशीनों के जरिए सफाई करवाने के लिए पाबंद किया था. उसके बावजूद प्रदेश की छोटी नगर पालिकाओं में सीवर जेट जैसे वाहन नहीं हैं. संसाधनों के अभाव में अक्सर निगम प्रशासन मजदूरों को बिना संसाधन सीवर चैंबर में उतार देता है. ऐसे में हादसों नहीं रुक पा रहे हैं.
फतेहपुर में सीवरेज लाइन की नियमित सफाई का काम चलता रहता है. सफाई के लिए सीवर जेट मशीन भी भेजी जाती है. लेकिन इस मशीन को चैंबर से गंदा पानी बाहर निकालने के काम लिया जाता है. नाले की सफाई या कचरा निकालने के लिए मजदूरों को उतारा जाता है!

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