दीपावली पर गाै माता के गोबर से बन रहे दीये-अगरबत्ती, अयोध्या तक महकेगी की खुशबू

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 दीपावली पर गाै माता के गोबर से बन रहे दीये-अगरबत्ती, अयोध्या तक महकेगी की खुशबू

सीतापुर । दीपावली पर अयोध्या सहित सीतापुर के कई पड़ोसी जनपदों में इस बार गाय के गोबर से निर्मित दीपक (दीये) अंधकार को दूर करने का काम करेंगे। साथ ही दीपावली में पूजन के लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां भी गौ उत्पाद से निर्मित बाजार में दिखाई देंगी। इसके अलावा सीतापुर में ही गौ उत्पाद से ही बनाई जा रहीं धूपबत्ती भी कई जनपदों में अपनी सुगन्ध बिखेरेगी।

सीतापुर नगर के रहने वाले एवं पेशे से अधिवक्ता गोविन्द मिश्र पिछले दाे वर्षों से लगातार गौ गोबर से निर्मित उत्पाद बनाने पर जोर दे रहे हैं। इन दिनों वे वकालत कार्य से निपटने के बाद सुबह-शाम दीये व मूर्ति बनाने के लिए पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। बिना किसी लाभ के श्री मिश्र दीये और मूर्तियों को अपनी लागत पर ही दूसरों को देने का कार्य कर रहें हैं। गोविन्द मिश्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक होने के साथ गाै सेवा गतिविधि से भी जुड़े हैं।

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अयोध्या सहित कई अन्य जनपदों में भेजी जा रही गो उत्पाद से बनी धूपबत्ती

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हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में श्री मिश्र बताते हैं कि गो उत्पाद से निर्मित धूपबत्ती वे पिछले दो वर्ष से लगातार बनाने का काम कर रहें हैं। उनके द्वारा बनाई गई धूपबत्ती अयोध्या, लखनऊ, लखीमपुर, बाराबंकी, हरदोई एवं उन्नाव, कानपुर जनपद में भेजी जा रही हैं। वे कहते हैं कि माता सीता की नगरी सीतापुर में तैयार की गई इस हर्बल धूपबत्ती वातावरण सुगंधित करने का काम कर रही हैं, साथ ही इस धूपबत्ती के जलाने से प्रदूषण से भी लाेग बचे रहते हैं। उन्हाेंने बताया कि राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद से प्रत्येक माह उनके द्वारा बनाई धूपबत्ती अयोध्या भेजी जा रही है। शुरुआत में बहुत कम पैकेट जाते थे, परंतु अब मांग बढ़ी है तो तकरीबन 250 पैकेट भेजे जा रहे हैं।

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अयोध्या के घाटों को सुगन्धित बनाती है धूपबत्ती

गोविन्द मिश्र कहते है कि अयोध्या कार्यालय से कई मठ-मंदिरों एवं घाटों में यहां निर्मित धूपबत्ती भेजी जाती हैं। वे बताते हैं कि इस बार अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव के लिए धूपबत्ती व दीये को भेजा जा चुका है। इसके अलावा गोविन्द मिश्र के हाथों से बने दीपक भोलेनाथ की नगरी छोटी काशी कही जाने वाली गोला गोकर्णनाथ व लक्ष्मण नगरी लखनऊ में भी उजियारा बिखेरेंगे।

गाय के गोबर से बना रहे हैं उत्पाद

इन सभी उत्पादों को गाय के गोबरों, जड़ी-बूटियों से तैयार करते हैं। श्री मिश्र दीपावली के चार दिन शेष रहने के वावजूद आज भी अपने सभी कामों को छोड़कर दीपक व धूपबत्ती बनाने का वृहद स्तर पर कार्य करते मिले। उन्हाेंने बताया कि दीपावली के दीयों को वह करीब दो माह पहले से तैयार करना शुरू करते हैं। अभी तक 10 हजार के आसपास दीये जनपद के अलावा अन्य जनपदों में बाहर भेज दिया गया है, जबकि करीब पांच हजार दीये की मांग सीतापुर में है।

गाै सेवा गतिविधि से सीख आज दूसरों को भी दे रहे हैं प्रशिक्षण

श्री मिश्र हिन्दुस्थान समाचार से बताते हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गाै सेवा गतिविधि से जुड़कर ही ऐसा करने की प्रेरणा मिली। उन्हाेंने अखिल भारतीय गौ प्रशिक्षण प्रमुख राघवन जी से पांच बार गौ उत्पाद व गौ आधारित कृषि का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वर्ष 2020 में गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार, महाराष्ट एवं 2022 में आनंद गुजरात में कामधेनु विश्वविद्यालय से गौ पालन व गौ संवर्धन का प्रशिक्षण लिया है। श्री मिश्र बताते हैं कि अब मेरे द्वारा भी गौ उत्पादों से निर्मित वस्तुओं के प्रयोग एवं बढ़ावा देने के लिए कई अन्य लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस समय गतिविधि से जुड़े लोगों को वह प्रशिक्षित भी करते हैं। गाय के गोबर, घी, कपूर, लौंग, चंदन, आम की लकड़ी का बुरादा सहित अन्य 16 जड़ीबूटियों से युक्त धूपबत्ती तैयार करते हैं। इसके अलावा गाय के गोबर, मुल्तानी मिट्टी से दीयों व गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति बनाते हैं। धूपबत्ती का एक पैकेट दस रुपये जबकि दो प्रकार के दीये बड़ा व छोटा बनाते हैं, जो दस व पांच रुपये के हैं।

दीपावली पर विशेष योजना

गोविन्द मिश्र ने इस दीपावली पर विशेष योजना बनाई है। वे बताते हैं कि दीपावली में प्रत्येक घर में श्रीगणेश-माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना होती है। दीप मालिकाएं सजाई जाती हैं।इस बात को ध्यान में रखते हुए इस बार भी एक विशेष पैक भी तैयार किया है। इस पैक में गोबर से तैयार किए गए श्रीगणेश-माता लक्ष्मी की मूर्ति, 21 गोबर दिये, दो पैकेट धूपबत्ती, गिरिजा हैं। इनको भी अलग अलग स्थानों पर भेजते हैं। बहुत लोग घर से ही खरीद ले जाते हैं। कुछ दुकानदार बिक्री के लिए ले जाते हैं। एक पैकेट करीब दो सौ रुपये का तैयार होता है।

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