राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर गृह मंत्रालय को फैसला करने का आदेश देने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कार्यकारी चीफ जस्टिस विभू बाखरु की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2025 को करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले को अब तक देख रहे वकील को हाल ही में सीनियर वकील का दर्जा दिया गया है, इसलिए अब केंद्र सरकार इस मामले में दूसरे वकील को नियुक्त करेगी। तब याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जाए। तब कोर्ट ने कहा कि पहले वकील को केंद्र सरकार का निर्देश ले लेने दीजिए। सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर पेश हुए और हाई कोर्ट में चल रही कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट के बारे में बताया। उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2025 को नियत करने का आदेश दिया।
इससे पहले 6 नवंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के रिकॉर्ड को पेश किया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि वो याचिका ज्यादा विस्तृत है, लेकिन लगता है कि दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका की तरह ही है। तब सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई से इस हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई का कोई लेना-देना नहीं है। तब कोर्ट ने एएसजी चेतन शर्मा से पूछा कि क्या सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। तब चेतन शर्मा ने कहा कि वे इस पर निर्देश लेकर सूचित करेंगे।
इसके पहले 20 अगस्त को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ये बताने में नाकाम रहे कि इसमें कोई संवैधानिक अधिकार है, लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि इसमें जनहित का मसला जुड़ा हुआ है। इसलिए इस याचिका पर जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच सुनवाई करेगी। उसके बाद कोर्ट ने कार्यकारी चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के पास याचिका को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद दलीलें रखते हुए कहा था कि उन्होंने 2019 में गृह मंत्रालय को लिखा था कि बैकओप्स लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन ब्रिटेन में 2003 में हुआ था और राहुल गांधी उस कंपनी के निदेशकों में से एक थे। याचिका में कहा गया है कि कंपनी की ओर से 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को भरे गए सालाना आयकर रिटर्न में कहा गया है कि राहुल की नागरिकता ब्रिटेन की है।
याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने खुद को भंग करने के लिए 17 फरवरी, 2009 को जो अर्जी दाखिल की थी, उसमें भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की बताई गई है। याचिका में कहा गया है कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन है। अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो वो भारत का नागरिक नहीं रह सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल, 2019 को राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि इस संबंध में दो हफ्ते के अंदर स्पष्टीकरण दें, लेकिन इसके पांच वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे में कोर्ट गृह मंत्रालय को इस संबंध में फैसला लेने का दिशा-निर्देश जारी करे।
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