भाजपा विधायकों ने दिल्ली सरकार से कैग रिपोर्ट सदन में पेश करने के मांग की
नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर जानबूझकर कैग की 14 रिपोर्ट्स को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उच्च न्यायालय में 16 दिसंबर को दिल्ली सरकार ने कैग की सभी 14 रिपोर्ट्स को दो से तीन दिन के अंदर विधानसभा अध्यक्ष को भेज देने का आश्वासन देने के बावजूद एक हफ्ते बाद तक भी आम आदमी पार्टी की सरकार ने न तो ये रिपोर्ट्स स्पीकर को भेजी हैं और ना ही इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है।
इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता और अन्य सभी भाजपा विधायकों ने आज फिर से हाई कोर्ट की शरण ली है और फिर से याचिका दायर कर कोर्ट से आग्रह किया है कि वह दिल्ली सरकार को निर्देश जारी कर कैग की 14 रिपोर्ट्स को तुरंत ही स्पीकर को भेजने और इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आदेश दे।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि अपने भ्रष्टाचार और कारगुजारियों को छुपाने के लिए आम आदमी पार्टी(आआपा) की सरकार बार-बार विपक्ष की मांग, उपराज्यपाल के आदेश और कोर्ट में आश्वासन देने के बावजूद इन रिपोर्ट्स को विधानसभा में प्रस्तुत नहीं कर रही है। उन्होंने उच्च न्यायालय से इस संबंध में सरकार को आदेश देने का आग्रह किया है। आआपा सरकार ने इन्हें सदन में प्रस्तुत न करके दिन दहाड़े लोकतांत्रिक परंपराओं और संविधान की हत्या की है।
उन्होंने कहा कि आआपा भ्रष्टाचार के मामलों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।
इस मामले को लेकर विपक्ष राष्ट्रपति से भी मिल चुका है, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्य सचिव से भी मिलकर इसकी शिकायत कर चुका हैं। उसके बाद नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर हुई सुनवाई के दौरान सरकार के वकीलों ने उच्च न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि सरकार दो से तीन दिन के अंदर इन रिपोर्ट्स को स्पीकर को भेज देगी, लेकिन सरकार ने अभी तक अपना वचन नहीं निभाया। इसे कोर्ट की अवमानना मानते हुए विपक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए फिर से याचिका दायर की है।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 2017-18 से लेकर 2021-22 तक सात साल की कैग की रिपोर्ट्स दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, जिनके पास वित्त मंत्रालय का प्रभार भी है, के पास लंबे समय से पेंडिंग रखी हुई थी और उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत नहीं किया गया ।
Comment List