बुजुर्गों का सम्मान, हमारी महान संस्कृति की धरोहर : राज्यपाल पटेल
भोपाल । राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों का सम्मान हमारी महान संस्कृति की धरोहर है। उनके प्रति आदर और संस्कार घर से ही विकसित होते है। उन्होंने रामायण में उल्लेखित माता-पिता और बुजुर्गों के सम्मान पर आधारित प्रसंगों का जिक्र भी किया। राज्यपाल पटेल मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर प्रशासनिक अकादमी में आयोजित कार्यकम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग की विषय पर आधारित “वरिष्ठ नागरिकों की देख-भाल, सुरक्षा, सामाजिक जिम्मेदारी, कानूनी सुरक्षा और मानव अधिकार” ‘स्मारिका’ का लोकार्पण भी किया।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों को अपने खान-पान और सेहत का विशेष ध्यान रखना होता है। परिजन बुजुर्गों के प्रति हमेशा संवेदनशीलता और कृतज्ञता का भाव रखे। उन्होंने मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति जनजागरण के प्रयासों के लिए आयोग को साधुवाद दिया। राज्यपाल पटेल ने कहा कि मानव अधिकार नैसर्गिक अधिकार है। ये अधिकार व्यक्ति का स्वाभिमान, सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करते है। इन अधिकारों तक समाज के अंतिम कड़ी के व्यक्ति की सुलभ पहुँच हो, इसकी जिम्मेदारी सरकार के साथ समाज के प्रत्येक व्यक्ति की भी है। उन्होंने कहा कि राज्य मानव अधिकार आयोग की भूमिका, मानवाधिकारों के रक्षक और संरक्षक के रूप में है। आयोग वंचित और गरीब वर्ग की आशा और विश्वास के केन्द्र में है। सरकार और समाज का मार्गदर्शक भी है।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि बुजुर्गों का सम्मान, हमारे संस्कारों और संवेदनशीलता से जुड़ा विषय है। वरिष्ठ नागरिक, हमारे परिवार और समाज के लिए धरोहर होते है, अनुभव का खजाना होते है। उन्होंने 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार माना। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि बुजुर्ग चलते-फिरते इनसाइक्लोपीडिया होते हैं। उनके पास जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के समाधान का अनुभव है। बुजुर्ग शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, लेकिन उनका अनुभव अमूल्य है। युवाओं को चाहिए कि वे बुजुर्गों के सान्निध्य में रहें, उनके अनुभव का लाभ लें और उन्हें सम्मान दें। वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति न केवल परिवार की ताकत है, बल्कि समाज की भी अमूल्य धरोहर है। उनकी सेवा और सम्मान ही हमारी संस्कृति का आधार है। यदि हम अपने मूल्यों और परंपराओं का सम्मान करेंगे, तो निश्चित रूप से विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर होंगे। वरिष्ठ नागरिकों के प्रति कृतज्ञता और आदर की भावना ही समाज की खुशहाली की सच्ची राह है।
मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने कहा कि भारतीय परिवेश में वृद्धजनों के आर्थिक, सामाजिक और वैधानिक संरक्षण किये जाने की आवश्कता है। उन्होंने कहा कि आयु एक सतत् अपरिर्वतनीय, सार्वभौमिक प्रक्रिया है। जो गर्भाधान से शुरू होकर व्यक्ति की मृत्यु तक होती है। उन्होंने कहा कि वृद्धजन की महत्वपूर्ण समस्याओं में प्रमुख रूप से शारीरिक दूर्बलता, मानसिक रोग, अकेलेपन की समस्या, आर्थिक असुरक्षा, संयुक्त परिवार का अभाव, मनोंरजन की समस्याओं से बुजुर्गों को बाहर निकालने के लिए समाज को आगे आना होगा। ममतानी ने कहा कि सरकार के साथ-साथ हम लोगों को भी वरिष्ठजनों के सम्मान एवं उनकी सुरक्षा के लिये कार्य करना होगा।
कार्यवाहक अध्यक्ष ममतानी ने कहा कि मानव अधिकार आयोग वरिष्ठजनों संरक्षण के लिये संवेदनशीलता से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग के संज्ञान में बुजुर्गों की समस्याओं के 1343 प्रकरण प्राप्त हुए हैं। आयोग द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से 1228 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। उन्होंने कहाकि आयोग द्वारा नवाचार के रूप में प्रदेश के 24 जिलों में शिविरों का आयोजन कर मानव अधिकार से संबंधित प्रकरणों का त्वरित निराकरण किया गया। ममतानी ने आयोग के उद्देश्यों, कार्यों और योजनाओं पर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
आयोग के सदस्य राजीव कुमार टंडन ने स्वागत उद्बोधन दिया। विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन की श्रीमती सोनाली पोक्षे वायंगणकर ने कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के संचालक राजेश गुप्ता ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याणार्थ केन्द्र और राज्य सरकार की संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
प्रशासनिक अकादमी में अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत विशेष शिविर लगाया गया। जिसमें 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के कार्ड बनाये गये। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने विशेष कैम्प का अवलोकन किया और सहजता से सेवा प्रदाय करने के निर्देश दिये।
पुलिस महानिदेशक (शिकायत एवं मानव अधिकार) डी.सी. सागर ने भगवान श्रीराम के पावन ग्रंथ रामचरित मानस के लंका काण्ड में विजय रथ के श्लोक सुनायें। उन्होंने "सौरज धीरज तेहि रथ चाका, सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका, बल विवेक दम परहित घोरे, छमा कृपा समता रजू जोरे" का उदाहरण दिया इस दोहे में बहादुरी, धैर्य, सत्य, शालीनता, द्दढ़ संकल्प, शिक्त, बुद्धिमत्ता, आत्म-नियंत्रण, परोपकार, क्षमा, कृतज्ञता और समानता के 12 गुण निहित हैं जो आदर्श व्यक्ति में होते है। सागर ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए पुलिस विभाग द्वारा बनाए गए सिटीजन ऐप की कार्य प्रणाली बताई।
Comment List