पूरे पैसे लेकर भी नहीं दिया फ्लैट का कब्जा, देरी के लिए चुकाना होगा ब्याज
जयपुर। राजस्थान रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की अध्यक्ष वीणू गुप्ता ने रियल एस्टेट से जुड़े एक मामले में बिल्डर्स को आदेश दिया है कि वह पीड़ित ग्राहक को उसके बुक कराए फ्लैट का तत्काल कब्जा देवे औऱ इसमें हुई देरी के लिए उसे 11.10 प्रतिशत ब्याज भी दिया जाए। शिकायतकर्ता मंजू जैन व अन्य ने राजस्थान रियल एस्टेट (रेगुलेशन और डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 के तहत रेरा में शिकायत दर्ज की थी। शिकायत का विषय 'द क्रेस्ट' नामक समूह आवास परियोजना है, जो अथॉरिटी के पास पंजीकृत है।
शिकायत के अनुसार वर्ष 2016 में शिकायतकर्ता मंजू जैन ने 3 BHK फ्लैट (नंबर 706, 7वीं मंजिल, विंग 2) बुक किया था, जिसकी कुल कीमत 1,62,10,000 रुपए थी। 24 जून 2016 को एक अलॉटमेंट लेटर जारी किया गया था, जिसमें निर्माण संबंधित भुगतान योजना शामिल थी। शिकायतकर्ता ने इस फ्लैट के लिए 42,50,000 रुपए का प्रारंभिक भुगतान किया और 27 जून 2016 को एक समझौता भी किया। समझौते के अनुसार, फ्लैट का कब्जा 31 मार्च 2018 तक दिया जाना था, जिसमें छह महीने की अतिरिक्त अवधि शामिल थी।
शिकायतकर्ता मंजू जैन ने भुगतान योजना के अनुसार सभी भुगतान किए, जिनकी कुल राशि 1,65,35,415 रुपए (कर सहित) थी। इसके बावजूद, छह साल बीतने के बाद भी, शिकायतकर्ता को एफ. एस. हाउसिंग प्रा. लि. से फ्लैट का कब्जा नहीं मिला। 28 फरवरी 2020 को प्रतिवादी ने शिकायतकर्ता से बाकी राशि का भुगतान करने के लिए कहा और शिकायतकर्ता ने 5,00,000 रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया। इस तरह कुल भुगतान अब 1,70,35,415 रुपए था, जो कुल बिक्री मूल्य से अधिक था, लेकिन फिर भी कब्जा नहीं दिया गया।
प्रतिवादी बिल्डर ने यह तर्क दिया कि परियोजना में विलंब हुआ था और अनियंत्रित परिस्थितयों की वजह से कब्जा 31 मई 2020 तक नहीं दिया जा सका। प्रतिवादी ने दावा किया कि उन्होंने एक संशोधित समझौता किया था, जिसके अनुसार कब्जे की तिथि 31 दिसंबर 2020 थी, और 1 जून 2021 को परियोजना को पूरा करने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था।
शिकायतकर्ता के वकील ने यह स्पष्ट किया कि कोई संशोधित समझौता नहीं दिखाया गया है और शिकायतकर्ता ने पहले ही 100% भुगतान कर दिया था। रेरा अथॉरिटी ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि प्रतिवादी ने 27 जून 2016 के समझौते के अनुसार समय पर कब्जा नहीं दिया।
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