अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले से भारतीय बाजार में तेजी आने की उम्मीद

By Desk
On
  अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले से भारतीय बाजार में तेजी आने की उम्मीद

नई दिल्ली । अमेरिकी फेडरल रिजर्व (यूएस फेड) ने ज्यादातर अर्थशास्त्रियों के अनुमान से आगे बढ़ कर ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके वैश्विक अर्थव्यवस्था की हलचल को तेज कर दिया है। अमेरिका में मार्च 2020 के बाद ब्याज दरों में पहली बार हुई कटौती को लेकर अब विशेषज्ञ चिंता भी जाहिर कर रहे हैं। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में हुई कटौती भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए बूस्टर साबित हो सकती है।

यूएस फेड द्वारा 50 बेसिस प्वाइंट की इस कटौती के साथ ही इंटरेस्ट रेट साइकिल में नरमी आने की उम्मीद बनी है। इससे भारतीय शेयर बाजार में आईटी सेक्टर के साथ ही बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे सेक्टर्स को सपोर्ट मिल सकता है। इसके साथ ही एफएमसीजी और फार्मास्यूटिकल जैसे सेक्टर के चुनिंदा शेयरों को भी सपोर्ट मिलने की उम्मीद बनी है।

Read More  बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई के लिए यूपीएससी की हाई कोर्ट में याचिका

यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में की गई 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती को लेकर कई विशेषज्ञों का मानना है कि यूएस फेड के इस कदम को अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी को लेकर फेड की बढ़ती आशंकाओं के संकेत के रूप में देखा जा सकता है। मार्केट एक्सपर्ट निलेश जैन का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा लगातार मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में अगर ब्याज दरों की कटौती के तत्काल सकारात्मक परिणाम नहीं आए तो हालत काफी बिगड़ सकते हैं।

Read More  सांसद खंडेलवाल ने चांदनी चौक और खारी बावली क्षेत्र का किया निरीक्षण, अधिकारियाें काे दिए निर्देश

दूसरी ओर, टाटा फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ एनालिस्ट राजीव बग्गा क्या कहना है कि ब्याज दरों में कटौती से उभरते बाजारों में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। ये कटौती भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए बड़ा बूस्टर साबित हो सकती है। खासकर भारत के बैंकिंग सिस्टम या फाइनेंशियल सर्विसेज में यूएस फेड के इस कदम का काफी अच्छा असर दिख सकता है।

Read More  डीजीजीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24: जीएसटी चोरी के रुझान जारी

इसी तरह कोटक महिंद्रा के नीलकंठ मिश्र का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में होने वाला कोई भी सकारात्मक बदलाव भारत के बैंकिंग सिस्टम के साथ आईटी सेक्टर के लिए भी काफी फायदेमंद हो सकता है। ब्याज दरों में कटौती के बाद विदेशी संस्थागत निवेशक भी भारतीय बाजार के प्रति पहले से अधिक रुचि दिखा सकते हैं। खासकर टर्म वैल्यूएशन के महंगा होने की वजह से चुनिंदा शेयरों में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों की रुचि बढ़ सकती है, जिससे अंततः भारतीय बाजार को ही फायदा होगा।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Latest News

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी (फिश ऑयल ) मिलने की पुष्टि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी (फिश ऑयल ) मिलने की पुष्टि
तिरुपति मंदिर के प्रसाद में फिश ऑयल मिलने की पुष्टि हो गई है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम से भेजे गए नमूनों...
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने पेरिस पैरा ओलंपिक 2024 में कांस्य पदक विजेता मोना अग्रवाल को दी बधाई !
नई पर्यटन इकाई नीति जल्दी होगी लागू : दिया कुमारी
प्रदेश में खेलों का वातावरण तैयार किया जायेगा: डा. नीरज के. पवन
भाजपा की नकारात्मक सोच का जवाब दें, कांग्रेस के पक्ष में करें मतदान : -पायलट
संस्कृत शिक्षा विभाग के प्राध्यापक पदों की प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों को संशोधन का मौका
जल भराव और सड़कों पर गड्डों का मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान