पार्थ चटर्जी ने ही भेजी अयोग्य उम्मीदवारों की सूची : सीबीआई का दावा

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   पार्थ चटर्जी ने ही भेजी अयोग्य उम्मीदवारों की सूची : सीबीआई का दावा

कोलकाता । पश्चिम बंगाल में टीईटी भर्ती घोटाले की जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। सीबीआई के अनुसार, राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने प्राथमिक शिक्षक पद के लिए 'अयोग्य' उम्मीदवारों की सूची एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजी थी, जिनमें से कई को बाद में नौकरी भी दी गई।

जून 2024 में सीबीआई ने कोलकाता स्थित विकास भवन में तलाशी अभियान चलाया था, जहां से बड़ी मात्रा में दस्तावेजों से भरे बोरों को जब्त किया गया। इन दस्तावेजों में टीईटी परीक्षा के उम्मीदवारों और चयनित अभ्यर्थियों की सूची भी शामिल थी।

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सीबीआई ने हाल ही में इन दस्तावेजों की जांच पूरी की है। सूत्रों के मुताबिक, पार्थ चटर्जी का नाम इन फाइलों में स्पष्ट रूप से सामने आया है, जिससे उनके टीईटी भर्ती घोटाले में संलिप्तता की पुष्टि होती है। इन तथ्यों के आधार पर मंगलवार को सीबीआई ने प्रेसिडेंसी जेल जाकर पार्थ चटर्जी से पूछताछ की।

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सीबीआई का कहना है कि जब्त दस्तावेजों में कई प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम भी मिले हैं। इनमें से कुछ 'अयोग्य' अभ्यर्थियों को पार्थ चटर्जी द्वारा भेजी गई सूची के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई।

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सीबीआई ने बताया कि विकास भवन का वह गोदाम, जहां ये महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे गए थे, 23 दिसंबर 2022 को सील कर दिया गया था। एजेंसी ने वहां से टीईटी भर्ती से संबंधित कई गोपनीय फाइलें भी बरामद की थीं।

पार्थ चटर्जी पर लगे हैं कई गंभीर आरोप

यह घोटाला कोई नई बात नहीं है। जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दक्षिण कोलकाता स्थित पार्थ चटर्जी के नाकतला स्थित घर पर छापा मारा था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उस समय एसएससी भर्ती घोटाले में भी पार्थ और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।

एक अक्टूबर 2024 को पार्थ चटर्जी को विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां एजेंसी ने उन्हें टीईटी घोटाले में गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। इसके बाद सीबीआई ने पार्थ को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उन्हें अपनी हिरासत में लेने की अलग से कोई मांग नहीं की।

उधर, कलकत्ता हाईकोर्ट में पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिंह राय की खंडपीठ ने फैसले को फिलहाल सुरक्षित रख लिया है।

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