कम्यूटेड पेंशन वसूली के नियम को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब
जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय ने कम्यूटेड पेंशन वसूली के नियम को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता रामप्रसाद सोनी व अन्य की ओर स कम्यूटेड पेंशन की वसूली सीमा 14 वर्ष के स्थान 11.5 वर्ष तक सीमित किए जाने को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया।
याचिकाकर्ता की तरफ से राजस्थान कम्यूटेशन ऑफ पेंशन नियग, 1996 के नियम 29 को चुनौती दी गई जिसके तहत पेंशनर्स को सेवानिवृति के समय दी जाने वाली एकमुश्त राशि की वसूली सरकार द्वारा 14 वर्ष तक की जाती है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक शर्मा ने पैरवी करते हुए उच्च न्यायालय को इस तथ्य से अवगत कराया कि दी गई एकमुश्त राशि की वसूली 11.5 वर्ष में की जा सकती है, लेकिन सरकार द्वारा बिना किसी गणितीय आंकलन के पेंशनर्स से 14 वर्ष तक मासिक किश्त के रूप में कटौती की जाती है जो कि मूल एकमुश्त राशि मय ब्याज से बहुत अधिक है, पेंशनर्स को इससे एक बहुत बड़ो वित्तीय हानि उठानी पड़ रही है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का यह भी कथन रहा कि पेंशन नियम वर्ष 1996 में तत्समय की ब्याज दर को ध्यान में रखते हुए बनाए गए थे, जो कि कालांतर में बहुत कम हो गए है। 1996 में भारतीय रिजर्व बैंक के रेपों रेट अधिक थी जो कि वर्तमान में बहुत कम हो गई है इसके साथ ही स्थाई जमा पर मिलने वाले ब्याज की दर भी 1996 की ब्याज दरों की तुलना में बहुत कम हो गई है, इसलिए कम्यूटेड पेंशन वसूली की अवधि 14 वर्ष के स्थान पर 11.5 वर्ष तक सीमित की जाएं लेकिन राज्य सरकार द्वारा उच्च ब्याज दर से एकमुश्त राशि की मासिक कटौती की जा रही है जो कि पेंशनर्स पर एक अतिरिक्त वित्तीय भार है।
नियमों के तहत सेवानिवृति के समय प्राप्त पेंशन का कम्यूटेड मूल्य 14 वर्ष बाद बहाल किया जाता है, इस अवधि की गणना तत्समय प्रचलित ब्याज दरों के आधार पर की गई थी जो 12 प्रतिशत थी लेकिन अब ब्याज दरें गिर रही है और वर्तमान में लगभग 7-8 प्रतिशत है। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर-भीतर जवाब प्रस्तुत करने का समय दिया है।
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