मप्र कैबिनेटः क्षिप्रा नदी के किनारे बनेगा 29 किमी लंबा घाट, 11 केवी फीडर्स होंगे सोलराइज
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। बैठक में किसानों की आय बढ़ाने के लिए धान उत्पादक किसानों को 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से प्रोत्साहन राशि दिए जाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। इसके साथ यह फैसला भी लिया गया कि सिंहस्थ 2028 को देखते हुए उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे 29 किलोमीटर लम्बा घाट बनाया जाएगा, साथ ही प्रदेश में बिजली की डिमांड में कमी लाने के लिए 11 केवी फीडर्स को सोलराइज किया जाएगा। इससे किसानों को ठंड के दिनों में बिजली देने की डिमांड को पूरा किया जा सकेगा। सरकार ने यह भी तय किया है कि एमपी में सौ फीसदी एरिया को सिंचित बनाया जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को प्लान बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि उज्जैन में महाकुंभ के दौरान हर दिन करीब दो करोड़ लोग आएंगे। वे सभी स्नान कर सकें, इसलिए मंत्रि-परिषद द्वारा घाट बड़ा करने का फैसला लिया गया है। इसके लिए शनि मंदिर से रामघाट तक 29 किमी का घाट तैयार किया जाएगा। इसकी लागत करीब 771 करोड़ रुपये होगी। यह शिप्रा नदी के दाईं तरफ शनि मंदिर से नागदा बायपास तक बनेगा।
उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने धान उत्पादक किसानों को बोनस देने का संकल्प लिया था। मंत्रिपरिषद द्वारा धान उत्पादक किसानों को 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से प्रोत्साहन राशि दिए जाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। हम किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृत संकल्पित हैं।
उन्होंने बताया कि किसानों की मांग होती है कि सर्दियों में उन्हें बिजली दी जाए। चूंकि हम उन्हें कभी दिन-कभी रात में बिजली देते हैं। पूरे समय दिन में बिजली उपलब्ध कराना संभव नहीं हो पाता, इसलिए सोलर प्लांट लगाए जाने की योजना है। किसानों की मांग को देखते हुए 11 केवी फीडर्स को सोलराइज किया जाएगा। इन्हें सोलर प्लांट से जोड़ना है। प्राइवेट सेक्टर भी इन्वेस्ट कर सकता है। भारत सरकार की ओर से प्रति मेगावाट एक करोड़ की सहायता दी जाएगी। इस काम में प्रति मेगावाट चार करोड़ का खर्च आएगा। योजना में सौ फीसदी लोन मिल जाता है। इसके बाद किसानों को दिन में भी पर्याप्त बिजली दी जा सकेगी। साथ ही कार्बन क्रेडिट का लाभ प्रदेश को मिल सके। इस पर भी काम कर रहे हैं।
एमपी में सौ फीसदी सिंचाई रकबा बनाने प्लान बनेगा
मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि केन बेतवा और पार्वती कालीसिंध चंबल नदी परियोजना से प्रदेश का सिंचाई रकबा बढ़ने की स्थिति को देखते हुए मंत्रि-परिषद ने तय किया है कि मप्र को सौ फीसदी सिंचित एरिया बनाया जाएगा। केन बेतवा और पार्वती चंबल कालीसिंध परियोजना से सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा। मप्र का सिंचाई रकबा बढ़ेगा। इन परियोजनाओं में 90 फीसदी राशि केंद्र और दस फीसदी राज्य सरकार राशि देगी। उन्होंने बताया कि पार्वती कालीसिंध चंबल नदी जोड़ो परियोजना में 13 जिलों को लाभ मिलेगा। इससे 6.13 लाख हेक्टेयर में नई सिंचाई क्षमता बढे़गी। बैठक में आए प्रस्ताव में बताया गया कि केन-बेतवा और पार्वती कालीसिंध से जुड़ी हुई 19 परियोजनाएं हैं, उसमें से 16 को आज मंत्रि-परिषद ने मंजूरी दे दी है। दो को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। एक परियोजना पर काम चल रहा है, जिसे जल्द ही मंजूरी दी जाएगी।
धरती आबा योजना को मंजूरी
उन्होंने बताया कि प्रदेश के 52 जिलों में आदिवासियों के लिए समेकित योजना के माध्यम से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष योजना में पंचायत भवन, आंगनबाड़ी स्कूल भवन का पंजीयन और शत प्रतिशत लाभ दिलाने के लिए काम करना है। केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत प्रदेश में 52 जिलों के आदिवासियों को इसका लाभ मिलेगा। इन गांवों में आदिवासियों की संख्या 50 फीसदी से अधिक है।
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