18वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवलके कला-सत्रों के कार्यक्रमों की सारी जानकारी !
जयपुर, 18 जनवरी 2025 - प्रतिष्ठित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का बहुप्रतीक्षित 2025 संस्करण 30 जनवरी से 3 फरवरी तक जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में आयोजित होगा। किताबों और विचारों के भव्य उत्सव के रूप में जाना जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा लिटरेचर फेस्टिवल रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक शानदार मंच होगा। हर साल की तरह इस साल भी कला, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवलके केंद्र में होगी।
कला का अर्थशास्त्र: नीति, नवाचार और समावेशन की भावना से ओतप्रोत एक शानदार पैनल, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात के राज्य मंत्री नूरा बिन्त मोहम्मद अल काबी, ब्रिटिश काउंसिल के सीईओ स्कॉट मैक्डोनाल्ड,ललित कला संग्रहालय, ह्यूस्टन के निदेशक गैरी टिनटेरोऔर मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्टके सीईओ मैक्सहॉलेइन जैसे विद्वानों से सजे इस सत्र में सूत्रधार की भूमिका में होंगे फेस्टिवल की निर्माता टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय। इस सत्र में चर्चा का मुख्य बिन्दु होगा- कैसे सरकारी पहल, फंडिंग और सार्वजनिक-निजी भागीदारी, स्थायी और रचनात्मक अर्थव्यवस्थाओं को आकार दे सकती है।विशेष रूप से भारत में सांस्कृतिक नवाचार, सार्वजनिक कूटनीति और संरक्षण को बढ़ावा देने के विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी।
अजंता की गुफाएँ: प्राचीन बौद्ध चित्रकला नामकसत्र में अजंता की गुफाओं के भित्तिचित्रों पर प्रसिद्ध कला इतिहासकार बेनॉय के. बहल के साथ फेस्टिवल के सह-निदेशक विलियम डैलरिम्पल बात करते हुए भित्तिचित्रों के वैश्विक प्रभाव और ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा करेंगे। पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखक बेंजामिन मोजर दो सत्रों में दर्शकों को डच कला और संस्कृति की मोहक दुनिया की यात्रा पर ले जाएंगे।द अपसाइड-डाउन वर्ल्ड: मीटिंग विद द डच मास्टर्स में कला इतिहासकार गैरी टिनटेरो उनकी 20 सालों की नीदरलैंड्स यात्रा पर बात करते हुए डच कला और इतिहास पर चर्चा करेंगे। नीदरलैंड्स दूतावासके सहयोग से प्रस्तुत एक अन्य सत्र इट्स डच टू मी में मोजरऔर ईरानी-डच लेखक कादर अब्दुल्ला डच कला और भाषा की स्थायी से परिचित कराएंगे।
फेस्टिवल में कला पर दो किताबों के प्रथम संस्करण का लोकार्पण भी होगा। देवी एंड हर अवताराज किताब के लोकार्पण के अवसर पर अलका पांडे, बुलबुल शर्मा, और वायु नायडूके साथ बातचीत में मालाश्री लाल, भारतीय पौराणिक कथाओं और कला में एक शक्तिशाली रचनात्मक शक्ति के रूप में स्त्री की खोज पर बात करेंगे।हर्षा दहेजिया की किताब द थर्ड आई ऑफ इंडियन आर्ट का लोकार्पण भी होगा। भारतीय कला के आध्यात्मिक और दार्शनिक आयामों पर बात करने वाली यह किताब इसके सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व में नई दृष्टि की खोज करती है। इस किताब पर हर्षा दहेजिया से बातचीत करेंगे बेनॉय के. बहल।
द ओजस आर्ट अवार्ड खंड में डो किताबों पर बात होगी:प्रशंसित ग्राफिक उपन्यासकार और कलाकारअभिषेक सिंह की हाइम्स ऑफ मेधिनी, औरदूसरी किताब अनॉदर मास्टर: राम सिंह उर्वेती, जो कि गोंड कलाकार राम सिंह उर्वेती की असाधारण कलात्मक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए स्वदेशी कला परंपराओं में उनके योगदान की चर्चा करती है।ओजस कला पुरस्कार जयपुर स्थित लघु कला के कलाकारों विनीता शर्मा औरअजय शर्मा को पारंपरिक कलाओं प्रति उनके समर्पण के लिए सम्मानित करेगा। गोंड कलाकार राम सिंह उर्वेती फेस्टिवल के दरबार हॉल में विशेष रूप से बनाई गई 8x12 फुट की पेंटिंग प्रदर्शित करेंगे और महोत्सव के दौरान दरबार हाल में एक कलाकृति बनाएंगे, जिससे उपस्थित लोगों को गोंड कला के निर्माण को करीब से देखने का मौका मिलेगा।
कलाकार वीर मुंशीके द्वारा फेस्टिवल के प्रवेश-स्थल पर एक आकर्षक इंस्टालेशन प्रस्तुत किया जाएगा, जो कश्मीर के पारंपरिक पेपर-माचे और कलमकारी रूपांकनों से प्रेरित है, जो लचीलापन, उपचार और पहचान की थीम आधारित होगा। इस बीच, प्रशंसित फोटोग्राफर विक्की रॉयकी एबिलिटी इन डिसबिलिटी शृंखलाकी 20 से अधिक प्रभावशाली तस्वीरों का प्रदर्शन किया जाएगा, जो भारत में विकलांग व्यक्तियों के जीवन की प्रेरणादायक छवियाँ हैं, जोउनकी ताकत और दृढ़ता की कहानी कहती हैं।
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ट्रस्ट, जो कि फेस्टिवल का बहुत पुराना सहयोगी है, राज्य की संस्कृति और धरोहर को एक बार फिर याद करते हुए पूरे राजस्थान के छात्रों और कला समूहों द्वारा बनाई गई नवीन कलाकृतियाँ प्रस्तुत करेगा।
कला पर फेस्टिवल के प्रभाव को रेखांकित करते हुए,जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आर्ट-एड्वाइजर और ओजस आर्ट, दिल्ली के डायरेक्टर अनुभव नाथ ने कहा “जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने हमेशा कला, साहित्य और विचारों के संगम का जश्न मनाया है। इस वर्ष, हम दृश्य अनुभवों की एक श्रृंखला प्रस्तुत करने के लिए रोमांचित हैं जो कलात्मक नवाचार का जश्न मनाते हुए स्वदेशी कलाकारों को एक मंच प्रदान करते हैं।
फेस्टिवल की स्थायी विरासत को दर्शाते हुए, फेस्टिवल के निर्माता और टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉयने कहा:“जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल हमेशा रचनात्मक अभिव्यक्ति का स्रोत रहा है, जो पूरे भारत की कलाओं और कलाकारों के लिए एक कैनवास पेश करता है। यह फेस्टिवल कला की बदलाव लाने वाली ताकत में विश्वास रखता है और किताबों, शब्दों, विचारों और कलात्मक परंपराओं की एक श्रृंखला के उत्सव के माध्यम से परस्पर-संबंधों को बढ़ावा देता है।
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