सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रखा बरकरार

नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा 2016 में किए गए 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की नियुक्तियों को रद्द करने का कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को टेंटेड यानि दूषित करार दिया।
पश्चिम बंगाल सरकार की अपील समेत कई याचिकाओं का निपटारा करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में कुछ बदलाव किए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता और वैधता खत्म हो गई है इसलिए, हम कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों में कुछ संशोधन करते हैं।"
इसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सुपर-न्यूमेरिक पदों के सृजन पर सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
7 मई, 2024 को तत्कालीन सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा स्कूली नौकरियों को रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।
तत्कालीन सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को कथित घोटाले की जांच जारी रखने की अनुमति दी थी, लेकिन सीबीआई को उम्मीदवारों या अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से मना कर दिया था।
अप्रैल 2024 के तीसरे सप्ताह में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने समाप्त हो चुके पैनल से चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति को रद्द कर दिया और उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान प्राप्त पूरे वेतन को अगले चार सप्ताह के भीतर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया।
डब्ल्यूबीएसएससी को नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के अलावा, कलकत्ता उच्च न्यायालय के जस्टिस देबांगसु बसाक और शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने जांच एजेंसी को मामले की जांच जारी रखने का भी आदेश दिया।
राज्य मंत्रिमंडल द्वारा अति-संख्यात्मक पदों के सृजन के फैसले का संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी, तो सीबीआई इन अतिरिक्त पदों के पीछे के मास्टरमाइंड से पूछताछ कर सकती है।
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