यासीन मलिक का दावा, मैं राजनीतिक पार्टी का नेता हूं, आतंकवादी नहीं

प्रधानमंत्रियों ने उनसे बातचीत की थी। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए मलिक ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील का हवाला दिया कि आतंकवादी हाफिज सईद के साथ उनकी तस्वीरें थीं और इसे सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दैनिक समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों ने कवर किया था।
मलिक ने कहा कि इस बयान ने मेरे खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी की है। केंद्र सरकार ने मेरे संगठन को यूएपीए के तहत आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया है। यह ध्यान देने योग्य है कि 1994 में एकतरफा युद्धविराम के बाद, मुझे न केवल 32 मामलों में जमानत दी गई, बल्कि किसी भी मामले में आगे नहीं बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव, एच डी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ मनमोहन सिंह और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान भी सभी ने युद्ध विराम का पालन किया। अब अचानक मौजूदा सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में मेरे खिलाफ 35 साल पुराने आतंकवादी मामलों की सुनवाई शुरू कर दी है। यह युद्ध विराम समझौते के खिलाफ है।
मेहता ने तर्क दिया कि मौजूदा मामले में संघर्ष विराम का कोई महत्व नहीं है। पीठ ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर निर्णय नहीं कर रही और केवल यह तय कर रही है कि उसे गवाहों से डिजिटल माध्यम से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। मलिक ने कहा कि वह सीबीआई की इस दलील का जवाब दे रहा था कि उसे जम्मू अदालत में भौतिक रूप से पेश नहीं किया जा सकता क्योंकि वह एक ‘‘खतरनाक आतंकवादी’’ है। उसने कहा, ‘‘सीबीआई की आपत्ति यह है कि मैं सुरक्षा के लिए खतरा हूं। मैं इसका जवाब दे रहा हूं। मैं आतंकवादी नहीं हूं और केवल एक राजनीतिक पार्टी का नेता हूं।
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