युवती के मृत्यु पूर्व बयानों के आधार पर अभियुक्त को दस साल की सजा

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  युवती के मृत्यु पूर्व बयानों के आधार पर अभियुक्त को दस साल की सजा

चित्तौड़गढ़ । शादी का झांसा देकर दुष्कर्म एवं ब्लैकमेल करने से आहत हो युवती के जहर खाकर जान देने के एक मामले में न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रमांक-2 चित्तौड़गढ़ के न्यायाधीश विनोद कुमार बैरवा ने पीड़िता के मृत्युकालीन बयानों को महत्वपूर्ण साक्ष्य माना। अभियुक्त को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 50 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है।

अपर लोक अभियोजक अब्दुल सत्तार खान ने बताया कि प्रार्थी चित्तौड़गढ़ शहर में रहने वाले एक व्यक्ति ने सांवलिया चिकित्सालय चित्तौड़गढ़ में 13 अप्रैल 2021 को एक लिखित रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि उसकी पुत्री के जहरीली वस्तु खाने से उसे उल्टी हुई है। घर पहुंचने पर पुत्री ने बताया कि वह कस्बा चौकी चित्तौड़गढ़ के पीछे रहने वाले सद्दाम पुत्र मोहम्मद हुसैन उर्फ बबलु शाह से परेशान हो गई है। अभियुक्त ने ब्लैकमेल कर 70-80 हजार रुपए घर से मंगवा लिए। होटल में ले जाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। पुत्री को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए जहां, उसकी मृत्यु हो गई। इस पर कोतवाली थाना चित्तौड़गढ़ पुलिस ने थाने पर धारा 306, 376 भारतीय दंड संहिता में मुकदमा दर्ज किया। इस मामले का महत्वपूर्ण तथ्य यह रहा कि प्रकरण दर्ज होने के पूर्व ही अस्पताल में पीड़िता का मृत्यु पूर्व पर्चा बयान डॉक्टर की स्वीकृति के बाद उप अधीक्षक राजेश कसाना ने लेखबद्ध किए। इसमें भी पीड़िता ने आरोपी सद्दाम के ब्लैकमेल करने की वजह से विषाक्त खाने की बात कही। पर्चा बयान के वक्त अस्पताल चौकी पर तैनात महिला कांस्टेबल ने पर्चा बयान की अपने मोबाइल से रिकार्ड कर सीडी बना अनुसंधान अधिकारी को सौंपी। पुलिस जांच में भी सामने आया कि शादी का झांसा देकर पीड़िता साथ दुष्कर्म किया और बाद में अभियुक्त ब्लैकमेल करने लगा था। मृतका के मृत्यु पूर्व दिए बयानों को न्यायालय महत्वपूर्ण दस्तावेज माना।

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न्यायालय के विचार को प्रतिपादित करते हुए लिखा कि "जीवन के अंतिम समय में कोई व्यक्ति झूठ को अपने मुंह मैं लेकर नहीं जाता है। उस समय मरने वाला व्यक्ति सत्य ही बोलता है।" प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने गवाहों में से मृतका के माता-पिता, भाई, मेडिकल साक्षी, अनुसंधान अधिकारी की गवाही को भी महत्वपूर्ण माना। अपर लोक अभियोजक की और से प्रस्तुत 24 गवाह, 46 दस्तावेज का अवलोकन करने के बाद बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अभियुक्त को दोषी माना। न्यायालय ने अभियुक्त सद्दाम हुसैन को धारा 306 आईपीसी में वर्ष 10 का कठोर कारावास और 25 हजार रुपए जुर्माना एवं धारा 376 आईपीसी में 7 वर्ष का कठोर कारावास और 25 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया।

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